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झारखंड

आसानी से भुला नहीं जा सकता रामजन्म भगत का व्यक्तित्व

Raftaar Desk - P2

27/04/2021 खूंटी, 27 अप्रैल(हि. स.)। किशोरावस्था से भारतीय जनसंघ से लगाव रखने और 1957 से जीवन पर्यंत जनसंघी और बाद में भाजपा समर्थक रहे तोरपा के 83 वर्षीय रामजन्म भगत का व्यक्तित्व आसानी से भुला नहीं जा सकता। गत 23 अप्रैल को उन्होंने रांची स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह तो-तीन साल से बीमार थे और अपनेे सेल्स टैक्स अधिकारी पुत्र के साथ रांची में ही रह रहे थे। गांव की पंचायत से लेकर देश की सर्वोच्च पंचायत लोकसभा के हर चुनाव में जनसंघ और भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में आजीवन काम करने वाले रामजन्म भगत का जन्म 12 फरवरी 1938 को तोरपा में हुआ था। उन्होंने संत कोलंबा काॅलेज हजारीबाग से बीए और पटना विश्वविद्यालय से अंग्रजी में एमए पास किया था। रामजन्म भगत अपने समय में क्षेत्र के एकलौते एमए पास व्यक्ति थे। वह अपने क्षेत्र के सबसे अधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। जिस धारा प्रवाह से वह अपनी मातृबोली नागपुरी बोलते थे, उतनी ही उनकी मजबूत पकड़ हिन्दी और अंग्रेजी में थी। उनके चार पुत्रों में एक दरभंगा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और एक बेटा सेल्स टैक्स का अधिकारी है। स्व भगत अपने पीछे नाती-पोतों से भरा परिवार छोड गये हैं। रामजन्म भगत यू तो हमेशा अपनी पंसदीदा राजनीतिक पार्टी के लिए कार्य करते रहे, पर न किसी पद पर रहने का मोह था और न अखबार या अन्य प्रचार माध्यमों में बने रहने का शौक। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल