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झारखंड

एकरारनामे के तहत काम नहीं करने वाली कंपनियों से जमीन वापसी का आदेश सराहनीय : कांग्रेस

Raftaar Desk - P2

रांची, 18 फरवरी (हि. स.)। झारखंड कांग्रेस ने कहा है कि पूर्ववर्ती अर्जुन मुंडा और रघुवर दास सरकार के शासनकाल में उद्योग धंधा स्थापित करने को लेकर देश-विदेश की विभिन्न छोटी-बड़ी कंपनियों के साथ एमओयू किया गया। इस दौरान कौड़ियों के मूल्य पर जमीन दे दिये गये। लेकिन कोई बड़े उद्योग धंधे स्थापित नहीं हो सके, जबकि वर्ष 2013 में कांग्रेस के यूपीए-2 की सरकार में भूमि अधिग्रहण को लेकर स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि निर्धारित समय सीमा के अंदर यदि कंपनी उद्योग धंधे का संचालन नहीं करती है, तो जमीन विस्थापितों और रैयतों को वापस करना होगा। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव राजेश गुप्ता ने गुरुवार को कहा कि इसी दिशा में सीएनटी कानून के तहत हजारीबाग जिले के 26 रैयतों को 57 एकड़ भूमि वापस करने का आदेश स्वागत योग्य कदम है। जिस तरह से उद्योग लगाने के नाम पर सैकड़ों परिवारों से जमीन वापस ले गयी, उससे जमीन पर निर्भर रहने वाले लोगों के समक्ष गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। सीएनटी कानून के तहत मंत्री चंपई सोरेन की अध्यक्षता में गठित अदालत का फैसला सराहनीय है। इससे आने वाले समय में उद्योग के नाम पर कृषि योग्य भूमि के जबरन अधिग्रहण की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा। केंद्र सरकार द्वारा राज्य में डीआरडीए के करीब 500 कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगाने के फैसले की भी आलोचना करते हुए कहा कि पहले से ही 14वें वित्त आयोग के तहत कार्यरत हजारों जेई व कंप्यूटर ऑपरेटरों को बेरोजगार कर दिया गया है। वे सभी आंदोलनरत है। केंद्र सरकार का गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेलापूर्ण व्यवहार से आम लोगों में खासा आक्रोश है। वहीं भाजपा नेताओं ने इन सारे मामलों पर चुप्पी साध ली है। भाजपा शासनकाल में उद्योग धंधा स्थापित करने के नाम पर जिन-जिन कंपनियों को जमीन दी गयी थी, उन सभी की जांच होनी चाहिए । हिन्दुस्थान समाचार/कृष्ण-hindusthansamachar.in