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झारखंड

नर्सें किसी भी अस्पताल की रीढ़ होती हैँ : अभिजीत

Raftaar Desk - P2

रांची, 21 फरवरी (हि.स.)। मेडिका अस्पताल समूह के सीओओ डॉ. अभिजीत चक्रवर्ती ने कहा कि नर्सें किसी भी अस्पताल की रीढ़ होती हैं। इसमें नर्स-डॉक्टर संवाद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। चूंकि नर्सें शिफ्ट में काम करती हैं, ऐसे में हैंडओवर और टेकओवर के दौरान संवाद का फारमैट समान ना होने पर कई बार गलतफहमी की वजह से मरीजों की जान पर बन आती है। डॉ. चक्रवर्ती भगवान महावीर मेडिका सुपरस्पेशलिटी हास्पिटल सभागार में रविवार को नर्सों के लिए 'आई-पास हैंड ओवर कम्युनिकेशन' विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। डॉ. चक्रवर्ती ने वीडियो फिल्म के जरिए समझाया कि टेक ओवर-हैंड ओवर के दौरान यदि आई-पास को अमल में लाया जाए तो इलाज की गुणवत्ता में आश्चर्यजनक सुधार हो सकता है। उन्होंने बताया कि आई-पास अंग्रेजी के पांच अक्षरों का एक समूह है। आई का तात्पर्य इलनेस समरी है, जबकि पास का अर्थ है-पेशेंट समरी, एक्शन लिस्ट, सिचुएशन अवेयरनेस एंड कांटिंजेंसी प्लानिंग, और सिंथेसिस बाइ रिसीवर। इन पांच अक्षरों के विषय में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। मेडिका कोलकाता से पधारे डॉ. अविरल रॉय ने बताया कि शिफ्ट बदलने के दौरान हैंडओवर देने वाली नर्स, टेक ओवर लेने वाली नर्स को अपने वार्ड में भर्ती हर एक मरीज की इलाज संबंधी जानकारी शेयर करती है। चूंकि इस संवाद का फारमैट समान नहीं होता तो हर नर्स उसी जानकारी को अपने ढंग से समझती है और उसी ढंग से वह डॉक्टर को ब्रीफ करती है। ऐसे में डॉक्टर कई बार भ्रम के शिकार हो जाते हैं, जिसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ता है।कार्यशाला को मेडिका अस्पताल समूह की असिस्टेंट नर्सिंग डॉयरेक्टर सुचरिता दास, मेडिका रांची के एवीपी अनिल कुमार और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. विजय मिश्रा ने भी संबोधित किया। मेडिका रांची की डीएमएस सिस्टर रेशमी नॉयर ने बताया कि कार्यशाला में कोलकाता, सिलिगुड़ी, पटना और रांची के विभिन्न अस्पतालों से आईं कुल 61 नर्सो ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में अंजू जार्ज, पियुली बनर्जी, डॉ. अत्रि गंगोपाध्याय और मेडिका अस्पताल समूह के सलाहकार डॉ. आनंद श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में हेल्थकेयर वर्कर उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/ विकास