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झारखंड

अज्ञानता ही मनुष्य के दुखों का है कारण: विशुद्ध सागर

Raftaar Desk - P2

कोडरमा, 05 फरवरी (हि.स.)। पानी टंकी रोड स्थित बड़ा मंदिर सरस्वती भवन के पंडाल की धर्म सभा में जैन संत आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज ने शुक्रवार को अपने अमृतमय प्रवचन में कहा कि इस दुनिया में अज्ञानता के कारण ही दुख है। सद्बोध के बाद दुख समाप्त हो जाता है। आज मनुष्य के पास जो चीज है उसकी अपनी नहीं है, मनुष्य उसी वस्तु को सत्य मानकर खोज रहा है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का स्वभाव है धन खत्म होने के बाद वह दुखी होता है और आने पर वह सुखी होता है। धर्म के मर्म को जानने के लिए अज्ञानता उतारने की आवश्यकता है। मनुष्य अपने भूल को सुधार कर ज्ञान को प्राप्त कर सकता है। व्यक्ति की स्मृति थक जाती है परंतु स्मरण नहीं थकता है। इच्छाओं का नष्ट होना ही मोक्ष मार्ग है, समय को देख कर काम करना चाहिए। बच्चे को हर समय डांटना नहीं चाहिए, बच्चे को प्रशंसा करके भी समझाया जा सकता है। विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति के वाणी की नहीं उस व्यक्ति के प्रभाव की वाणी का महत्व होता है। विशुद्ध वाणी ही जिनवाणी है। उसी का अनुसरण करके जीवन प्रकाशमय बन सकता है। हमेशा प्रभु की वाणी के सूत्र गूंजे। हिन्दुस्थान समाचार/ संजीव-hindusthansamachar.in