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झारखंड

किसानों की आशंका दूर करना सत्ता का कर्तव्य : केएन गोविंदाचार्य

Raftaar Desk - P2

धनबाद, 08 फरवरी (हि.स.) । सरकार व किसान के बीच विश्वास व संवाद का संकट है और इसे दूर करने के लिए राज सत्ता को पहल करने की जरूरत है । तब जाकर ही किसान आंदोलन से जुड़ी समस्या का समाधान संभव है। उक्त बातें प्रसिद्ध चिंतक व राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक केएन गोविंदाचार्य ने सोमवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि किसान के मन में नए कानून को लेकर जो आशंका है उसे दूर करने की जिम्मेवारी राज सत्ता से जुड़े लोगों की है। एमएसपी गारंटी कानून लाने, विवाद के निपटारे के लिए 11 सदस्यीय ट्रिब्यूनल बनाने जिसमें चार सदस्य किसान हो। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के चमौली में हुई घटना विकास की गलत अवधारणा का परिणाम है । चार धाम के लिए किए जा रहे सड़क चौड़ीकरण वहां के वातावरण का विध्वंश कर रहा है । हिमालय की चिंता नहीं होना गलत बात है । यही स्थिति रहा तो वर्ष 2030 तक स्थिति काबू से बाहर हो जाएगा और इस विकास में प्रकृति का विध्वंश अंतर्निहित है । जैव व वनस्पति संपदा 60 वर्षों में 50 प्रतिशत कम हो गया है। जीडीपी व ग्रोथ रेट विकास का पैमाना नहीं हो सकता है । प्रकृति केंद्रित विकास की आवश्यकता देश में होनी चाहिए और उनका संगठन इस अभियान में लगा हुआ है । वर्ष 2022 के फरवरी में दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें पूरे देश से लोग जुटेंगे और अपने-अपने क्षेत्र में जो कार्य कर रहे हैं वे अपना अनुभव साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षक व अभिभावक केंद्रित शिक्षा के कारण पांच से 20 वर्ष के बच्चे मूल्यहीनता का शिकार हो रहे हैं । बच्चा आधारित शिक्षा की जरूरत है और यह समाज के द्वारा ही संभव है । सरकार से अपेक्षा रखना बेकार है । मौके पर राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के दिल्ली प्रदेश संयोजक जीवकांत झा, मधु सिंह, सुशील सिंह, एसएचएमएस कॉलेज के प्राचार्य दिनेश कुमार साह, मंजीत सिंह, रविंद्र प्रधान, बीरेंद्र राय मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार / बिमल-hindusthansamachar.in