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झारखंड

जलवायु परिवर्तन की गति रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर हो सामूहिक प्रयासः आयुक्त

Raftaar Desk - P2

मेदिनीनगर, 24 मार्च (हि.स.)। जलवायु परिवर्तन की गति को रोकने के लिए हम सभी को स्थानीय स्तर पर प्रयास करना होगा। रुचि लेकर छोटे-छोटे कार्य कर जलवायु परिवर्तन को रोका जा सकता है। इसके लिए हर स्तर पर लोगों को जागरूक करने का कार्य होनी चाहिए। समुदाय की सहभागिता से वनों का संरक्षण करना होगा और वन क्षेत्र में निवास कर रहे लोगों के लिए लाह, महुआ आदि से जीविकोपार्जन का संसाधन सुनिश्चित करना होगा, ताकि वनों की कटाई को रोका जा सके। वे बुधवार को दुबियाखाड़ स्थित सेसा भवन में जलवायु परिवर्तन विषय पर प्रमंडल स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। नाबार्ड की ओर से आयोजित इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पलामू प्रमंडल में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव, उपयुक्त अनुकूलन और शमन उपायों पर चर्चा एवं केंद्र सरकार, यूएनएफसीसीसी के अंतर्गत विभिन्न निधियों के लिए प्रमंडल स्तरीय कार्य योजना तैयार करना है। क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक संजय कुमार सुमन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन अति चिंतनीय विषय है। इससे संपूर्ण विश्व में खलबली मची है। इसके लिए विभाग व व्यक्ति विशेष मिलकर व्यवहारिक रूप से सामूहिक कार्य करें, तो इसके सार्थक परिणाम निकलेंगे। उन्होंने कहा कि पौधरोपण कर जलवायु परिवर्तन को वन विभाग व नाबार्ड के सहयोग से कई योजनाएं चल रही है। इसमें नदी तट पर पौधरोपण का कार्य महत्वपूर्ण है। पलामू व्याघ्र परियोजना दक्षिणी प्रमंडल के उपनिदेशक मुकेश कुमार ने जलवायु परिवर्तन के कारण और जंगल के महत्व को समझाते बताया कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ता है, क्योंकि खेती एवं पशुपालन कम होने से जंगलों पर उनकी निर्भरता बढ़ती है और वे अवैध तरीकों से वनों की कटाई कर जीविकोपार्जन का साधन जुटाते हैं। ऐसे में खेती को बढ़ावा मिलनी चाहिए, ताकि वनों का संरक्षण हो। डीएफओ राहुल कुमार ने कहा कि नाबार्ड के सहयोग से वन विभाग द्वारा नदी तट पर पौधरोपण का कार्य किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। हिन्दुस्थान समाचार/संजय