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झारखंड

2019 के पहले की नियुक्तियों के लिए मान्य नहीं होगा आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण : हाईकोर्ट

Raftaar Desk - P2

रांची, 21 जनवरी (हि.स.)। झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में अपना फैसला सुना दिया है। इस मामले से जुड़े सभी पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति के विज्ञापन को रद्द करने का फैसला सुनाया है। जेपीएससी के अधिवक्ता संजोय पिपरवाल के मुताबिक अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वर्ष 2019 में सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का कानून लागू किया गया ह। इसलिए वर्ष 2019 से पहले हुई नियुक्ति में इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने जेपीएससी दोबारा विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया है। 22 जनवरी से पूरे राज्य में इसकी मुख्य परीक्षा होनी थी और उससे पहले हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। झारखंड लोक सेवा आयोग ने सिविल इंजीनियर और मैकेनिकल इंजीनियर की वैकेंसी के लिए वर्ष 2019 में एडवर्टिजमेंट जारी किया था। इसके तहत सिविल इंजीनियर के पद पर 542 और मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर 92 अभ्यर्थी शामिल थे। यह महत्वपूर्ण फैसला झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सुनाया है।प्रार्थी रंजीत कुमार साह ने असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में याचिका दाखिल की थी। पिछली सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने सभी पक्षो को पूरी तरह सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के मामले में झारखंड हाईकोर्ट में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हिन्दुस्थान समाचार/ विकास-hindusthansamachar.in