रैना ने फारूक अब्दुल्ला को कहा: हमारे जख्मों में नमक छिड़कना बंद करो
रैना ने फारूक अब्दुल्ला को कहा: हमारे जख्मों में नमक छिड़कना बंद करो 
जम्मू-कश्मीर

रैना ने फारूक अब्दुल्ला को कहा: हमारे जख्मों में नमक छिड़कना बंद करो

Raftaar Desk - P2

जम्मू, 08 नवबंर (हि.स.)। पूर्व एमएलसी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला के हालिया बयानों की रविवार को निंदा की। उन्होंने कहा कि कश्मीर की जनता द्वारा अवसरवाद और दोयम दर्जे की राजनीति के लिए खारिज कर दिये जाने के बाद अब नेशनल कांफ्रेंस विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। उन्होंने कहा कि विस्थापित समुदाय कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा करने में नेशनल कांफ्रेंस पार्टी की भूमिका को नहीं भूले हैं जिसने उनको दशकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और उसके नेताओं के कार्यों को अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है। कृषि सुधारों के नाम पर छोटे और सीमांत किसानों की ज़मीनों को छीनना, प्रशासन से समुदाय को बाहर करना और तत्कालीन राज्य के निर्णय लेने के तंत्र से बाहर करना और समुदाय को पाँचवाँ स्तंभकार कहना मानवता के विरुद्ध उनके पापों का सूचक मात्र है। जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर्याप्त संख्या में थे, उन विधानसभा क्षेत्रों को ऐसे तरीके से बांटना कि उनको विधानसभा में प्रतिनिधित्व से वंचित किया जाये इसका कार्य भी उनकी देखरेख में किया गया था। उन्होंने कहा कि दूसरों को दोष देने से पहले डॉ. फारूक अब्दुल्ला को उस समय पलायन पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, जब वे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। उनको देश को यह भी बताना चाहिए कि 1996 में सत्ता में लौटने के बाद निर्वासित समुदाय की पीड़ा को कम करने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए। डॉ. फारूक अब्दुल्ला को हमें यह बताना चाहिए कि उन्होंने अपनी पार्टी के संसद सदस्य के रूप में संसद के दोनों सदनों में विस्थापित समुदाय का मुद्दा कितनी बार उठाया? हमें यह भी बताना चाहिए कि क्या उन्होंने या उनके किसी सांसद ने विस्थापित समुदाय के कल्याण के लिए सीडीएफ से कोई पैसा खर्च किया है? समुदाय के पास उन सभी का रिकॉर्ड है जब उन्होंने कश्मीरी पंडित मुद्दे पर चर्चा की थी। जीएल रैना ने जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर के लोग काफी समझदार हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस और उसके अवसरवाद की राजनीति को अच्छी तरह से जानते हैं। आज वे उन्हीं लोगों के साथ ग्रुप बना रहे हैं, जिनके खिलाफ उन्होंने लंबे समय तक सोशल बायकॉट अभियान चलाया। उनके अवसरवाद का विस्तार इस तथ्य से किया जा सकता है कि वे अब महाराजा हरि सिंह जी की प्रशंसा कर रहे हैं, जिनके खिलाफ उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया और उन्हें राज्य से भगा दिया। उनको अपने पापों के लिए माफी मांगनी चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/अमरीक/बलवान-hindusthansamachar.in