छठ पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया
छठ पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया 
जम्मू-कश्मीर

छठ पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया

Raftaar Desk - P2

उधमपुर, 20 नवम्बर (हि.स.)। छठ पूजा का त्योहार भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों की तरह प्रदेश में भी 18 नवम्बर, बुधवार से 21 नवम्बर, शनिवार तक धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार परम पावन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ पूजा मनाई जाती है। छठ को महापर्व की संज्ञा दी गई है। वहीं उधमपुर में भी बिहार, उतरप्रदेश, झारखंड आदि राज्यों के प्रवासी मजदूरों व अन्य लोगांे द्वारा यह पर्व मनाया गया। अधिकांश प्रवासी कोरोना महामारी के चलते घरों को वापिस चले गए हैं। जो यहां रह रहे हैं उन द्वारा यह पर्व मनाया गया। इस अवसर पर महिलाओं व पुरूषों द्वारा 36 घंटे का उपवास रखा गया, जो शनिवार प्रातः सूर्य के चढ़ते ही समाप्त किया जाएगा। आज उन्होंने ढलते सूर्य की पूजा की। कुछ लोग देविका नदी में पहंुचे तथा कुछ लोगों ने तवी नदी में सूर्य की पूर्जा अर्चना की। गौर रहे कि यह आस्था ओर श्रद्धा का सबसे खास त्योहार है। इसलिए इसके प्रति लोगों में बहुत अधिक विश्वास है। दूनियाभर में प्रवासी बिहारी अपने-अपने क्षेत्रों के नजदीकी घाटों पर जाकर भावों सहित छठ पूजा का त्योहार मनाते हैं। इस त्योहार का लोग सालभर इंतजार करते हैं और छठ पूजा आने पर पूरी श्रद्धा से रीति-रिवाज निभाते हैं इस दौरान सूर्य भगवान और छठी मइया की पूजा अर्चना का खास महत्व माना जाता है। छठ महापर्व का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। छठ व्रत सूर्य भगवान, प्रकृति, उषा, जल और वायु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा के दिन व्रत रखने से श्रद्धा ओर विश्वास से रखने से निःसंतान स्त्रियों को संतान की प्राप्ति होती है। छठ पूजा की विधि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर व्रती अपने घर पर बनाए पकवानों और पूजन सामग्री लेकर आसपास के घाटों पर जाते हैं। घाट पर ईख का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाते हैं। इसके बाद व्रती घाट में स्नान करते हैं और पानी में रहते हुए ही ढलते सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। इसके उपरांत घर जाकर सूर्य भगवान का ध्यान करते हुए रात भर जागरण करते हैं, इसमें छठी माता के प्राचीन गीत गाए जाते हैं । सप्तमी तिथि यानी व्रत के चैथे और आखिरी दिन सूर्य उगने से पहले घाट पर पहुंचते हैं। इस दौरान अपने साथ पकवानों की टोकरियां, नारियल और फल भी रखे होते हैं। उगते हुए सूर्य को जल श्रद्धा से अघ्र्य देते हैं तथा उसके उपरांत छठ व्रत की कथा सुनी जाती है और प्रसाद बांटे जाते है। आखिर में व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रमेश/बलवान ---------hindusthansamachar.in