पालमपुर, 03 मार्च (हि. स.)। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने कहा है कि हिमाचल विधान सभा के प्रवेश द्वार पर राज्यपाल महोदय के साथ हुए दुव्र्यवहार से और उसके बाद होने वाली सभी घटनाओं से बहुत अधिक आहत हुए है। हिमाचल के इतिहास में इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पहली बार घटी है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल किसी पार्टी का नही होता। प्रदेश में संवैधानिक प्रमुख के रूप में वह भारत के संविधान का प्रतीक होता है। राज्यपाल महोदय से दुव्र्यवहार भारत के संविधान का अपमान है। यह बहुत बड़ा अपराध है। शान्ता कुमार ने कहा कि आज से 50 साल पहले मैं पहली बार हिमाचल विधान सभा का सदस्य बना था। डा0 परमार मुख्यमंत्री थे। हिमाचल विधान सभा अपने अच्छे व्यवहार के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध थी। इस बार इस घटना ने हिमाचल प्रदेश को पूरे देश में बदनाम किया है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से फोन पर बात की है। उनसे आग्रह किया है कि राज्यपाल महोदय से दुव्यवहार अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। वे कांग्रेस विधायकों को उसके लिए क्षमा याचना के लिए कहें। यह स्प्ष्ट रूप से भारत के संविधान का अपमान है। इतना बड़ा अपराध करने पर उस पर जिद से खड़े रहना और भी दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस विधायक क्षमा याचना करेंगे तो उनका कद छोटा न होकर बड़ा होगा। शान्ता कुमार ने कहा कि पूरे प्रदेश में इस पर विरोध प्रदर्शन व पुतले जलाये जाने की घटना और भी दुर्भाग्यपूर्ण है। एक अपराध को ठीक ठहराने के लिए और भी अधिक अपराध हो रहे है। उन्होंने वीरभद्र सिंह से आग्रह किया है कि वे इस सम्बंध में पहल करें और हिमाचल को इस बदनामी से बचाएं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/उज्वल