वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकला प्रभाकर अर्थशास्त्री हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकला प्रभाकर अर्थशास्त्री हैं। Raftaar.in
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकला प्रभाकर ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को 'दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला' बताया

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में इलेक्टोरल बॉन्ड एक बड़ा मुद्दा बनेगा।

प्रभाकर ने रिपोर्टर टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा आने वाले समय में एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है। इसकी वजह से बीजेपी और भारत की जनता आमने-सामने होंगे।" उन्होंने आगे कहा, "ये मामला अभी और बढ़ेगा, अभी से और ज्यादा। ये अभी ही बीजेपी के हाथ से निकल गया है और आम लोग धीरे-धीरे समझ रहे हैं कि ये केवल भारत नहीं, दुनिया का सबसे बड़ा स्कैम है। आने वाले चुनाव में जनता बीजेपी को इसकी सज़ा देगी।"

गौरतलब है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को पहुंचा है। पार्टी को चार साल में इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए 6000 करोड़ से ज्यादा का चंदा मिला है। पार्टी को सबसे ज्यादा चंदा हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग ने दिया है, इस कंपनी ने 519 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे थे। बीजेपी के बाद तृणमूल कांग्रेस (1397 करोड़), कांग्रेस (1334 करोड़) और भारत राष्ट्र समिति (1322 करोड़) इलेक्टोरल बॉन्ड्स से सबसे ज्यादा चंदा पाने वाली पार्टियां थीं।

क्या हैं इलेक्टोरल बॉन्ड्स?

इलेक्टोरल बॉन्ड्स एक तरह के वचन पत्र हैं, जिनके जरिए भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी राजनीतिक दलों को चंदा दे सकती है। ये बॉन्ड्स स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से खरीदकर, अपनी पहचान जाहिर किए बिना वो किसी भी पार्टी को डोनेशन दे सकते हैं। भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड्स को सरकार ने 2018 में लागू कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को खारिज कर दिया। इसके साथ ही स्टेट बैंक को आदेश दिया कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड्स जारी करना बंद करे और इससे जुड़े पूरे रिकॉर्ड को पब्लिक करे। सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं की स्टडी में सामने आया कि CBI, ED और इनकम टैक्स की जांच झेल रही 41 कंपनियों ने बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए 2471 करोड़ का चंदा दिया था। इनमें से 1698 करोड़ रुपये इन जांच एजेंसियो की रेड के बाद दिए गए थे।

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