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दिल्ली

उद्योग नगर अग्निकांड: 70 घंटे बाद भी नहीं मिले शव

Raftaar Desk - P2

- अब एक दूसरे को अपनों की निशानी ही बता रहे हैं परिजन नई दिल्ली, 24 जून (हि.स.)। "साहब सिर्फ हमारे अपने बच्चों के शरीर का अवशेष ही मिल जाये, यह तो दिल को संतुष्टि होगी कि हमारा बच्चा अब इस दुनिया में नहीं रहा।" राजधानी दिल्ली के उद्योग नगर स्थित जूते के गादाम में बीते 21 जून को आग लगने के बाद जिन लोगों ने अपने बच्चों को खोया है, वे पुलिस के सामने यही गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। सोमवार यानी 21 जून को सुबह 8.56 बजे जे-5 अपेक्षा इंटरनेशनल गोदाम में भीषण आग लग गई थी, जिसमें छह दर्जन कर्मचारी गोदाम से बाहर आ गए थे। लेकिन इतने ही कर्मचारी आग की चपेट में आ गए। उनका पिछले 70 घंटों से अधिक वक्त गुजर जाने के बावजूद कुछ पता नही चला है। उन कर्मचारियों के परिजनों ने कहा, "हम तीन दिनों से सुबह यहां आते हैं, लेकिन कोई कुछ बताने वाला नहीं है। वापिस घर लौटने पर परिवार वाले पूछते हैं कि क्या हुआ? लेकिन, हमारे पास कोई जवाब नहीं होता है।" आगे उन्होंने कहा कि "अब बस, हमको पुलिस वाले उनका शव किसी तरह सौंप दें, ताकि हम उनका दाह संस्कार कर दें।" अपने बच्चों को खोने के बाद परिवार के लोगों को बुरा हाल है। बेसमेंट से पानी निकलते रहे, आज इंजीनियर देखेंगे बचाव दल बुधवार रात तक बेसमेंट में भरे पानी को निकालने की कोशिश करती रही, जिसमें काफी मुश्किलें आई। बचाव दल का कहना है कि अब अगर यहां से पानी निकल गया तो सुबह इंजीनियर की टीम आकर बिल्डिंग को देखेगी, जिसके बाद पहली मंजिल पर जाने की योजना पर विचार किया जाएगा। असल में आग लगने और उसे बुझाने में इस्तेमाल किये गये पानी से बिल्डिंग की नींव और दीवारें काफी कमजोर पड़ गई हैं। दीवारों पर दरार पड़ गई है। इसके अलावा जिस तरह पहली मंजिल पर कई टन मलवा पड़ा है, उससे आशंका है कि बिल्डिंग गिर सकती है। इसलिए बचाव दल अपनी भी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए राहत कार्य कर रहे हैं। एक दूसरे को अपनों की निशानी बता रहे हैं परिजन लापता नीरज के भाई राजेश ने बात करते हुए बताया कि नीरज के कूल्हे पर बचपन में गर्म तवे से निशान पड़ गया था। अब वह शादी के बाद चांदी की अंगूठी पहना करता था। उसको पहचानने की निशानी यही बची है। उसके बेटे रोनिक उर्फ प्रिंस का 30 जून को पहला बर्थ-डे है, जिसकी परिवार तैयारी कर रहा था। नीरज बेटे के जन्मदिन को लेकर कार्यक्रम की योजना हर रोज बनाया करता था, लेकिन पता नहीं खुशियां इतनी जल्द खत्म हो गईं। इधर लापता सोनू और विक्रम नामक सगे भाइयों के पिता रमेश चंद्र का कहना है कि उनकी बुढ़ापे की लाठी टूट गई है। उनको यह भी नहीं पता कि उनके दोनों बच्चों का शव मिल पाएगा या नहीं। रमेश चंद्र ने कहा कि दोनों बच्चे परिवार की आर्थिक दशा को सुधारना चाहते थे। लेकिन, उनको भगवान इतनी जल्दी अपने पास बुला लेगा, यह पता नहीं था। अजय, अभिषेक और शमशाद के परिवार का कहना है कि अब तो किसी चमत्कार की आस है। आधे दिन का वेतन न कट जाए , इसलिए भागते थे घर से नीरज के भाई मुकेश और राजेश ने बताया कि गोदाम के बाहर मालिक पवन गर्ग ने टेमपलेट बनाकर साफ लिख रखा था की आठ बजे के बाद और लंच टाइम ढाई बजे के बाद आने वाले कि उस दिन की आधी तनख्वाह काट ली जाएगी। इसलिए कर्मचारी घर से सुबह बिना खाये पीये ही ड्यूटी भागते थे, ताकि आधे दिन का वेतन न कट जाए। लंच टाइम में भी जल्दी-जल्दी खाना खाते थे, क्योंकि ढाई बजते ही गेट बंद हो जाया करता था। उनका कहना है कि मालिक को इतना कमा कर दिया। आज वही मालिक अपने कर्मचारियों के परिवार से दूर रहकर वकीलों से बचने के रास्ते तलाश रहा है। पौने दो सौ से ज्यादा बचाव दल में लगे दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि तीन दिन में अभी तक बचाव दल में करीब पौने दो सौ कर्मचारी लगे हैं। उन सब की कोशिश यही है कि अगर कोई भी गोदाम में है तो उसको किसी भी तरह बाहर निकाला जाए। अगर कोई बॉडी है तो उसको निकालकर परिजनों को सौंपा जाए। इस ऑपरेशन में 50 से ज्यादा दमकल की गाड़ियां आ चुकी हैं। जल्द से जल्द ऑपरेशन को पूरा करने की कोशिश की जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी