Supreme Court strict in Indian Coast Guard Commission case
Supreme Court strict in Indian Coast Guard Commission case Social media
नई-दिल्ली

कोस्ट गार्ड में महिलाओं के परमानेंट कमीशन मामले में केन्द्र पर तल्ख हुआ कोर्ट, नारी शक्ति पर कही बड़ी बात

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। देश की सर्वोच्च अदालत ने इंडियन कोस्ट गार्ड में महिलाओं को स्थाई कमीशन नहीं देने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार से पूछा है कि आप नारी शक्ति की बात करते है। तो उस पर अमल क्यों नहीं करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर तल्ख सवाल पूछें। जिसमें उन्होंने कहा कि जब सेना , नौसेना में महिलाओ को परमानेंट कमीशन दे रही है तो फिर भारतीय कोस्ट गार्ड में क्यों ऐसा क्यों नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि समुद्री बल को ऐसी निति बनानी चाहिए। जो महिलाओ के साथ निष्पक्ष व्यवहार कर सकें। सरकार को इंडियन कोस्ट गार्ड में महिलाओं के स्थाई कमीशन को लेकर एक नई पॉलिसी लाने की बात कही है। आपको बता दें कि कोर्ट ने महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी द्वारा याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें आईसीजी की पात्र महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने की बात की गई है।

महिलाओ के साथ हो निष्पक्ष व्यवहार

महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी द्वारा दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ सुनवाई कर रही हैं। जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूर्ण के अलावा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, वा मनोज मिश्रा ने जोर देकर केंद्र सरकार को कहा है कि जब सेना और नौसेना महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन दे रही थी। तब कोस्ट गार्ड लाइन से बाहर नहीं हो सकता था। आप नारी शक्ति की बात करतें हैं। तो इसे करके भी दिखाएं। आप यहां समुद्र के उस गहरे छोर पर है। कोस्ट गार्ड यह कह सकता है कि वह अब लाइन से बाहर हो सकते है। जब सेना और नौसेना ने ऐसा किया है। लगता है कि आप सभी ने मेरा बबिता पुनिया वाला जजमेंट नहीं पढ़ा है। आपको बता दें कि कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने दलील दी थी। कि कोस्ट गार्ड सेना और नौसेना की तुलना में अलग कार्य करता है।

सरकार की नीति पर उठाए सवाल

कोर्ट ने सरकार की मनसा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप नारी शक्ति की बात करते हैं। तो आप करके क्यों नहीं दिखाते। आपको अवश्य ही ऐसी नीति लानी चाहिए। जिसमें महिलाओं के साथ निष्पक्ष बर्ताव हो। क्या केंद्र तीनों सेनाओं में महिलाओ को स्थाई कमीशन प्रदान करने के शीर्ष अदालत के फैसलों के बावजूद पितृ सत्तात्मक रवैया अपना रही है। क्या आप सच में कोस्ट गार्ड में महिलाओं का चेहरा नहीं देखना चाहते। जब आपके पास नौसना में महिला कमीशन अधिकारी हैं तो कोस्ट गार्ड में क्यों नहीं हो सकती है क्या। आपको बता दें कि सेवा के तीनों विंग में महिला अधिकारियों के स्थाई रूप कमीशन ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति होने की लड़ाई जीतने के बाद कोस्ट गार्ड अधिकारी भी जंग में उतर आई हैं।

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