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नई-दिल्ली

PM मोदी ने कहा- 21वीं सदी की चुनौतियों से 20वीं सदी के नजरिए से नहीं लड़ा जा सकता, पुनर्विचार की जरूरत

नई दिल्ली, (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया है कि 21वीं सदी की चुनौतियों से 20वीं सदी के दृष्टिकोण से नहीं लड़ा जा सकता। इस पर पुनर्विचार, पुनर्कल्पना और सुधार की जरूरत है। उन्होंने अपना नजरिया आज (शनिवार) यहां राष्ट्रमंडल कानूनी शिक्षा संघ (सीएलईए) - राष्ट्रमंडल अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरल कॉन्फ्रेंस (सीएएसजीसी)- 2024 का उद्घाटन करते व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में भारत के किए गए प्रयासों का उल्लेख भी किया

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में भारत के किए गए प्रयासों का उल्लेख भी किया। उन्होंने देशों के बीच न्यायिक विकास में सहयोग पर जोर देते हुए कहा कि कभी-कभी एक देश में न्याय सुनिश्चित करने के लिए दूसरे देशों के साथ काम करने की आवश्यकता होती है। जब हम सहयोग करते हैं, तो हम एक-दूसरे के सिस्टम को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अधिक समझ अधिक तालमेल लाती है।

अफ्रीकी संघ के साथ भारत के विशेष संबंध का भी जिक्र किया

उन्होंने अफ्रीकी संघ के साथ भारत के विशेष संबंध का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें गर्व है कि भारत की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ जी-20 का हिस्सा बन गया। इससे अफ्रीका के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी।

भारत ने औपनिवेशिक काल के हजारों अप्रचलित कानूनों को समाप्त कर दिया है

उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए कानूनों का आधुनिकीकरण कर रहा है। अब, तीन नए कानूनों ने 100 साल से अधिक पुराने औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों की जगह ले ली है। भारत को औपनिवेशिक काल से कानूनी व्यवस्था विरासत में मिली है। पिछले कुछ वर्षों में हमने इसमें कई सुधार किए। भारत ने औपनिवेशिक काल के हजारों अप्रचलित कानूनों को समाप्त कर दिया है।

वाक्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से विकास कर रहा है। वह एक अंतराष्ट्रीय नेता के रूप में पूरे विश्व में उभरे हैं।

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