Apology letter again published by patanjali
Apology letter again published by patanjali Raftaar.in
नई-दिल्ली

Patanjali Misleading AD: पतंजलि ने दोबारा मांगी माफी; एक-चौथाई साइज का दिया विज्ञापन, 30 अप्रैल को अगली सुनवाई

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए आज अखबारों में सार्वजनिक माफी मांगी है। बता दें कि पतंजलि ने पहले भी अपना माफीनामा प्रकाशित करवाया था, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने उसके साइज पर आपत्ति जताते हुए दोबारा प्रकाशित करवाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने पूछा था कि क्या इसका आकार उनकी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों जितना बड़ा है, जिसके बाद दोबारा माफीनामे की बात की गई।

क्या नया है मंगलवार को प्रकाशित विज्ञापन में

मंगलवार सुबह प्रकाशित विज्ञापन एक अखबार के पृष्ठ के एक-चौथाई हिस्से को कवर करता है और इसका शीषर्क "बिना शर्त सार्वजनिक माफी" है। "भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चल रहे मामले के मद्देनजर, हम अपनी व्यक्तिगत क्षमता के साथ-साथ कंपनी की ओर से, गैर-अनुपालन या अवज्ञा के लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं।"

विज्ञापन में रामदेव और बालकृष्ण ने क्या कहा

हम अपने विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए ईमानदारी से माफी मांगते हैं और यह हमारी पूरी प्रतिबद्धता है कि ऐसी त्रुटियां दोहराई नहीं जाएंगी। हम निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं और माननीय न्यायालय के निर्देशों को उचित देखभाल और अत्यंत ईमानदारी के साथ हम न्यायालय की महिमा को बनाए रखने और माननीय न्यायालय/संबंधित अधिकारियों के लागू कानूनों और निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं। सोमवार को प्रकाशित की गई एड काफी छोटी थी और उसमें रामदेव और बालकृष्ण का नाम भी शामिल नहीं था।

क्या आपत्ति जताई थी बेंच ने

कल मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की बेंच ने पूछा था कि क्या माफीनामे को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। जस्टिस कोहली ने पूछा था कि, "क्या माफी को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है? क्या इसका फॉन्ट और आकार आपके पहले के विज्ञापनों के समान है?"

मुकुल रोहतगी ने क्या तर्क पेश किया

रामदेव और बालकृष्ण की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि माफी 10 लाख रुपये की कीमत पर 67 अखबारों में प्रकाशित की गई थी। जिसकी प्रतिक्रिया में बेंच ने कहा कि हम विज्ञापन का वास्तविक आकार देखना चाहते हैं। हम यह देखना चाहते हैं कि जब आप कोई विज्ञापन जारी करें तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना पड़े।" इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी और उस दौरान कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण के भी मौजूद रहने को कहा है।