Amit Shah
Amit Shah Photo- sansad TV
नई-दिल्ली

Bharatiya Nyaya Sanhita: न्याय से जुड़े तीन विधेयकों को मिली लोकसभा की मंजूरी, देशद्रोह को लेकर बोले अमित शाह

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। आपराधिक कानूनों से जुड़े तीनों बिल आज बुधवार (20 दिसंबर) को लोकसभा से पास हो गए है। इससे पहले बुधवार (20 दिसंबर) को इन बिलों पर चर्चा हुई थी। आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने पूर्व में पेश क‍िए गए इन व‍िधेयकों पर संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में चर्चा का जवाब द‍िया। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया से जुड़े तीन कानूनों भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) को नए सिरे से परिभाषित करने वाले तीन नए विधेयक बुधवार को लोकसभा से पारित कर दिया गया।

लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर हुई चर्चा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि प्रस्तावित कानूनों के मुताबिक मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए मौत की सजा का प्रावधान होगा। केंद्र के अनुसार नए विधेयकों का उद्देश्य देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पुनर्जीवित करना है, जिसमें "दंड" के बजाय "न्याय" पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। गृह मंत्री शाह ने कहा कि इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने 3 कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है। उन तीनों कानूनों में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन करने वाले व‍िधेयक पेश क‍िए गए है।

1860 में बना था भारतीय दंड संह‍िता (आईपीसी) कानून

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय दंड संह‍िता (आईपीसी) कानून 1860 में बना था, ज‍िसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था। उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी। अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी। इसके अलावा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 (Indian Evidence Act 1872) की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा। अमित शाह ने ये भी कहा कि प्रस्तावित कानून पुलिस की जवाबदेही को मजबूत करने के लिए एक प्रणाली लाएंगे।

राजद्रोह की जगह देशद्रोह

गृहमंत्री शाह ने कहा कि हम राजद्रोह की जगह देशद्रोह लेकर आए हैं। आईपीसी ने राजद्रोह को "सरकार के खिलाफ कार्य" के रूप में परिभाषित किया था। लेकिन BNS (भारतीय न्याय संहिता) प्रावधान उन लोगों के लिए है, जो देश की संप्रभुता, सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना तो कोई भी कर सकता है। सरकार की आलोचना करने पर कोई जेल नहीं जाएगा। लेकिन कोई भी देश के ख़िलाफ़ नहीं बोल सकता।

तीनों विधेयक सदन ने ध्वनिमत से पारित

शाह ने विधेयक पर जवाब देते हुए कहा कि पिछली बार पेश विधेयकों को गृह विभाग की स्थायी समिति को भेजा गया था। समिति ने विधेयकों में कई बदलाव सुझाए थे। इनमें से बहुत से बदलावों को स्वीकार किया गया है। ऐसे में विधेयकों से जुड़े संशोधन लाने की बजाय नए ढंग से विधेयक लाए गए हैं। तीनों विधेयकों को आज सदन के समक्ष चर्चा और पारित के लिए पेश किया गया। जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।

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