(पूनम मेहरा) नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) नीतू ने 2012 में जब पहली बार मुक्केबाजी के ग्लव्स उठाए तो यह उनके गांव में गहरी जड़ें जमा चुकी लड़कियों को ज्यादा बाहर नहीं निकलने देने की मानसिकता और उनके पिता के जज्बे का मुकाबला था जिसमें यह युवा मुक्केबाज अंत में क्लिक »-www.ibc24.in