खगड़िया, 6 अगस्त (हि.स.)। बूढ़ी गंडक नदी का बढ़ता जलस्तर खगरिया जिले में बूढ़ी गंडक नदी के उत्तरी तटबंध के लिए खतरे का सबब बन गया है। खगरिया जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर चांदपुरा के नजदीक कटाव का शिकार हो चुके तटबंध को बचाने के लिए जिला प्रशासन ने अपने सारे संसाधन झोंक दिए हैं। 5 अगस्त की शाम में बूढ़ी गंडक नदी का उत्तरी तटबंध टूटने के कगार पर पहुंच गया था लेकिन स्थानीय ग्रामीणों के हौसले के सामने नदी की तेज धारा को ठहरना ही पड़ा। हवाएं तेज चल रही थी लेकिन इन्द्र देवता ने रहम खाकर पवन देव का साथ नहीं दिया वरना खगड़िया में अप्रत्याशित बाढ़ एक नया इतिहास बना जाता। डीएम आलोक रंजन घोष ने गुरुवार को कहा है कि खतरा फिलहाल टला है खत्म नहीं हुआ है इसलिए अलर्ट रहें। गुरुवार को मौसम भी साथ दे रहा है जिससे बांध के कटाव ग्रस्त हिस्सा को सुरक्षित करने का प्रयास निर्विघ्न जारी है। हालांकि गुरुवार को जारी बाढ़ प्रतिवेदन के अनुसार बूढ़ी गंडक का जलस्तर अघोरी स्थान के निकट 37.14 मीटर दर्ज किया गया जो खतरे के निशान से 0.54 मीटर ऊपर है। इस नदी का अधिकतम बाढ़ का जलस्तर 39.22 मीटर रहा है। वही बागमती का जलस्तर संतोष स्लुइश गेट पर 38.30 मीटर दर्ज किया गया जबकि कोसी नदी का जलस्तर बलतारा में 35.82 मीटर दर्ज किया गया। गंगा नदी खतरे के निशान से 0.33 मीटर नीचे बह रही है । खाराधार में इसका गुरुवार को जल स्तर 33.74 मीटर दर्ज किया गया। बागमती नदी का खतरे का निशान 35.63 मीटर, कोसी नदी का खतरे का निशान 33.85 मीटर, बूढ़ी गंडक नदी का खतरे का निशान 36.60 मीटर तथा गंगा नदी का खतरे का निशान 34.07 मीटर है। खगरिया जिले के सभी 7 प्रखंडों के 129 पंचायतों में से 39 पंचायतें बाढ़ प्रभावित हैं। इन पंचायतों में 116 गांव के एक लाख से अधिक आबादी बाढ़ प्रभावित है। बाढ़ प्रभावित लोगों के आवागमन के लिए जिला प्रशासन की ओर से 103 नावें चलाई जा रही है। जिसमें 76 नावें निजी संचालकों की है। हिन्दुस्थान समाचार/अजिताभ/चंदा-hindusthansamachar.in