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बिहार

पूर्णियां की पूजा ने साबित कर दिया,हौसला बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं

Raftaar Desk - P2

पूर्णिया, 31 मार्च (हि.स.)।"कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों"। इस कहावत को बिहार के पूर्णियां जिले की पूजा भट्ट ने चरितार्थ कर दिखाया है।पूजा के माता-पिता के गुजर जाने के बाद उनके उपर दो छोटे भाईयों की जिम्मेवारी आ गयी, फिर भी उसने हौसला नहीं छोड़ा। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से जुड़कर आज वह खुद की गारमेन्ट फैक्ट्री में महिलाओं के लिए परिधान बन रही है। साथ ही कोरोना काल में बाहर से आये कुशल कामगारों को रोजगार भी दे रही है। कैसे बढ़ी पूजा आगे – पूजा ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है। इसके बाद उसने उद्योग विभाग से पीएमईजीपी योजना के तहत 17 लाख रुपये लोन लेकर गांव में अपनी टेक्सटाईल की फैक्ट्री डाल दी। पूजा कहती हैं कि बचपन में उनके पिता मर गये। बीते दिसम्बर में कोरोना में उनकी मां भी मर गयी। इसके बाद दो छोटे भाईयों की परवरिश भी उनके उपर आ गयी। उसने उद्योग विभाग से पीएमईजीपी योजना से लोन लेकर अपनी टेक्सटाइल फैक्ट्री की शुरुआत की। आज उनके पास 25 मजदूर काम कर रहे हैं। बंगाल और बिहार के कई जिलों से उनके पास कपड़ा का आर्डर भी आ रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से घर लौटे करीब 25 लोग आज पूजा के साथ उनके फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। उनकी गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले कलीम कहते हैं कि वह दिल्ली में टेक्सटाइल कंपनी में काम करता था। कोरोना के समय काम छूट गया तो वह घर आ गये।इसके बाद गांव में ही उनके जैसे करीब 25 लोग इस फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। गांव में ही उन्हे दिल्ली से अधिक आमदनी हो रही है। कहते हैं मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंख लगाने से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।आज पूजा अपने हौसलों के बदौलत यह साबित कर दी है कि नारी अब पुरुषों से कम नहीं है। अगर हौसला बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं होता। हिन्दुस्थान सामाचार /नन्दकिशोर