अनुदानित डिग्री काॅलेजों के शिक्षाकर्मियों को अंगीभूत काॅलेजों की तरह वेतनमान  का प्रावधान करे सरकार : प्रो अरुण कुमार
अनुदानित डिग्री काॅलेजों के शिक्षाकर्मियों को अंगीभूत काॅलेजों की तरह वेतनमान का प्रावधान करे सरकार : प्रो अरुण कुमार 
बिहार

अनुदानित डिग्री काॅलेजों के शिक्षाकर्मियों को अंगीभूत काॅलेजों की तरह वेतनमान का प्रावधान करे सरकार : प्रो अरुण कुमार

Raftaar Desk - P2

दरभंगा,16 जुलाई (हि.स.)। अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव सह दरभंगा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के विधान परिषद् के प्रत्याशी प्रो(डाॅ) अरुण कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मुख्यसचिव और शिक्षा सचिव को एक पत्र लिखकर सभी अनुदानित डिग्री काॅलेजों के शिक्षकों और कर्मियों को अंगीभूत काॅलेजों की तरह वेतनमान और सेवाशर्त का प्रावधान करने की माँग की है। गुरुवार को यहाँ प्रेषित पत्र में डाॅ.कुमार ने कहा है कि राज्य के संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षक और शिक्षाकर्मी सरकार के असंवेदनशील रवैये के चलते घोर आर्थिक संकट के कठिन दौर से गुजर रहे हैं। सत्र 2012 से ही इन संस्थानों को मिलने वाले अनुदान का भुगतान नहीं होने और आंतरिक स्रोतों से प्राप्त धनराशि के प्रबंधन में व्याप्त भ्रष्टाचार के फलस्वरूप इन संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षाकर्मियों और उनके लाखों परिजनों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा है कि सरकार इस बात से अवगत है कि राज्य के करीब सत्तर प्रतिशत छात्र-छात्राओ का भविष्य इन संस्थानों पर निर्भर है। इनमें बहुसंख्यक छात्र समाज के कमजोर और पिछड़े तबकों से आते हैं। हम अगर इन संस्थानों को राज्य की उच्च शिक्षा-व्यवस्था की रीढ़ कहते हैं, तो यह किसी भी प्रकार अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है। सरकार को अविलम्ब इन संस्थानों की समस्याओं का निदान कर बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति अपनी घोषित प्रतिबद्धता के अनुकूल आचरण का परिचय देना चाहिए। राज्य के संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षकों की समस्याओं के मूल में अनुदान का भुगतान नहीं होना है। हमने पिछले पत्रों में बार -बार सरकार का ध्यान इस बात की ओर आकृष्ट किया है कि आंतरिक स्रोत, अनुदान की राशि के साथ बजट प्रावधानों में मामूली वृद्धि से सम्बद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों की समस्याओं का स्थायी समाधान संभव है। लेकिन सरकार इस कदर चुप्पी साधे रही जैसे शिक्षा और शिक्षक उसकी कार्यसूची में शामिल ही नहीं हो। सरकार का यह रवैया अत्यंत ही निराशाजनक है। उन्होंने कहा किइन बातों के आलोक में हम एक बार पुनः सरकार से और खासकर मुख्यमंत्री से नम्रतापूर्वक निवेदन करना चाहते हैं कि आप इस मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालयों के शिक्षकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में आवश्यक पहल करते हुए उनकी निम्नलिखित माँगों की पूर्ति के लिए अविलंब कदम उठायें । हिन्दुस्थान समाचार/मनोज/विभाकर-hindusthansamachar.in