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बिहार

14 अप्रैल '74 को जेपी ने गया में संभाली थी छात्र आंदोलन कमान

Raftaar Desk - P2

14/04/2021 गया, 14 अप्रैल ( हि.स.)।14 अप्रैल कई मायनों में ऐतिहासिक तिथि है।इसी दिन यानी 14 अप्रैल 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने गया के ऐतिहासिक गांधी मैदान में छात्र आंदोलन की कमान अपने हाथों में लेने की घोषणा की थी। जेपी 12 अप्रैल 1974 को गया में छात्र आंदोलन को लेकर की गई पुलिस फायरिंग से काफी मर्माहत थे। पुलिस फायरिंग में एक दर्जन से अधिक निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी। इनमें एक दस साल का बच्चा संजय शामिल था।सन् 74 के इसी छात्र आंदोलन के कारण जयप्रकाश नारायण लोकनायक कहलाए। कर्फ्यूू को तोड़ते हुए रेलवे स्टेशन पहुंचे थे छात्र नेता 13 अप्रैल की सुबह छह बजे गया रेलवे स्टेशन से पैसेंजर ट्रेन से छात्र आंदोलन के सर्वमान्य नेता रहे अखौरी निरंजन प्रसाद अपने साथ समीर सरकार को लेकर पटना रवाना हुए थे लेकिन अखौरी निरंजन के लिए चांदचौरा मुहल्ले से रेलवे स्टेशन तक का सफर जोखिम भरा था। कर्फ्यू लगा हुआ था। ऐसे में वे दोनों गली और छोटे मार्ग से होते हुए करीमगंज और फिर रेल लाइन के सहारे गया रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। गया गोली कांड के बाद छात्र संघर्ष समिति के रविशंकर प्रसाद,वशिष्ठ नारायण सिंह, शिवानंद तिवारी,विजय कृष्ण सहित कई छात्र नेता जेपी को छात्र आंदोलन की कमान अपने हाथों में लेने के लिए मनाने में जुटे हुए थे लेकिन जेपी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे। अखौरी निरंजन प्रसाद बताते हैं कि जब वे समीर सरकार के साथ दोपहर 12 बजे के आसपास कदमकुआं स्थित महिला चरखा समिति पहुंचे। उस वक्त वहां आचार्य राममूर्ति, त्रिपुरारि शरण, दयानंद सहाय, रविशंकर प्रसाद, वशिष्ठ नारायण सिंह, नरेन्द्र सिंह, विजय कृष्ण सहित कई अन्य लोग जेपी के साथ बैठे थे। दयानंद सहाय अखौरी निरंजन को देखते ही जेपी की ओर मुखातिब हुए। दयानंद सहाय ने कहा गया से अखौरी आया है। गया में पुलिस बर्बरता और आंदोलन से संबंधित सही जानकारी इससे मिलेगी। बकौल अखौरी निरंजन प्रसाद जेपी ने गया जीपीओ के पास महिला आंदोलकारियों के साथ मेजर लाल की हैवानियत की बात सुनकर एकाएक चुप्पी साध ली। फिर जेपी को पुलिस फायरिंग में एक दस साल के बच्चे की मौत और पुलिस बर्बरता की जानकारी दी गई। जेपी ने पूछा क्या कल गया में मेरी सभा करा सकते हो? अखौरी निरंजन प्रसाद ने कहा कि गया की घटना के बारे में विस्तार से सुनने के बाद अचानक जेपी ने पूछा कि क्या कल गया में मेरी सभा करा सकते हो? हां सुनते ही जेपी ने कहा जाओ कल मैं गया आ रहा हूं। पटना में छपे पांच सौ हैंडबिल जेपी के गया आने की सूचना आम आदमी को कैसे मिले? यह एक बड़ी समस्या थी क्योंकि गया में कर्फ्यू लगा हुआ था।समय की कमी थी। अखौरी निरंजन के अनुसार रविशंकर प्रसाद ने पांच सौ पम्पलेट छपवा कर शाम में दे दिया। इसके बाद कर्फ्यू में ढील के बीच मोटरसाइकिल से पम्पलेट बांटे गये। अखौरी निरंजन ने कहा कि 14 अप्रैल की सुबह आठ से दस बजे के बीच कर्फ्यू में ढील के दौरान उन्होंने अपने ममेरे भाई अखौरी भुनेश्वर की राजदूत बाइक पर उल्टा बैठकर जेपी के गया आने की सूचना से संबंधित पम्पलेट वितरित किया। कर्फ्यू तोड़कर रेलवे स्टेशन पहुंचा जनसैलाब जेपी के आने की सूचना गया में आग की तरह फैल गई। पम्पलेट में संदेश था कि दिन के 11:30 बजे घरों में थाली बजाते हुए रेलवे स्टेशन की ओर कूच करना है। ऐसा ही हुआ। जेपी की अगुवाई के लिए गया और आसपास के इलाके से जनसैलाब रेलवे स्टेशन की ओर उमड़ पड़ा। यह देख पुलिस- प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगे। जनसैलाब के आगे प्रशासन के कर्फ्यू ने दम तोड़ दिया। जेपी सीधे पिलग्रिम अस्पताल पहुंचे गयाा रेलवे स्टेशन पर जेपी का भव्य स्वागत किया गया। जेपी घायलों से मिलने पिलग्रिम अस्पताल पहुंचे। जेपी ने घायलों की जुबानी पुलिस बर्बरता की कहानी सुनी।फिर वे पुलिस फायरिंग में मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने के बाद घटनास्थल देखने गए। दो घंटे में जेपी के लिए मंच हुआ तैयार जेपी गांधी मैदान में जनसभा करेंगे इसके लिए मंच बनाने की चुनौती थी। छात्र नेता अखौरी निरंजन प्रसाद, सुधीर सहाय, अनिल विभाकर, सुनील गुप्ता, नवलेश बर्थवार,हरि सिंह,डा राजेंद्र कौल,डा.डी पी धर, कामेश्वर सिंह, ज्ञानचंद जैन,प्रभात कुमार सिन्हा, अनिल कुमार सिन्हा, गोपाल राव,प्रेम कुमार, सुरेन्द्र-लल्लू, मुन्ना लोहानी, अजय शर्मा के अलावा छात्र नेता अशोक कुमार,सुबोध, सुनील सिंह, कौशलेंद्र प्रताप सिंह एवं अन्य अपने कंधों पर बांस-बल्ली लेकर गांधी मैदान जा पहुंचे। और देखते ही देखते मंच तैयार हो गया। गया के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जेपी को सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। जनसैलाब को देखकर जेपी इतने भावविह्वल हो उठे कि उन्होंने सभा में ही छात्र आंदोलन की कमान अपने हाथ में लेने की ऐतिहासिक घोषणा कर दी। गया में छात्र आंदोलन की कमान जेपी ने संभालने की घोषणा कर आंदोलन को जन आंदोलन में तब्दील कर दिया। आगे चलकर यही आंदोलन केंद्र से लेकर कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन का कारण बना। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज कुमार/विभाकर