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बिहार

परंपरागत खेती छोड़कर नई तकनीक के सहारे आत्मनिर्भर हो रहे हैं किसान

Raftaar Desk - P2

बेगूसराय, 28 जनवरी (हि.स.)। किसानों में इन दिनों परंपरागत खेती को छोड़कर नई तकनीक से खेती का रुझान बढ़ता जा रहा है। किसानों का अंतर्वर्ती खेती और सब्जी की खेती के प्रति बढ़ता रुझान उनके आर्थिक समृद्धि का आधार बन रहा है। कुछ समय पूर्व तक बेगूसराय में शिमला मिर्च, उच्च किस्म के टमाटर, मिर्च, ब्रोकली आदि की उपलब्धता दूसरे प्रदेश के भरोसे रहती थी लेकिन अब यहां के किसान खुद तमाम तरह की सब्जी उपजाकर प्रगति के नए द्वार खोल रहे हैं। बेगूसराय में इस वर्ष 25 एकड़ से अधिक में शिमला मिर्च की खेती हुई है। सैकड़ों एकड़ में उच्च क्वालिटी के टमाटर की खेती हुई है, ब्रोकली और लाल बंधा गोभी के प्रति भी रुझान बढ़ा है। जिले के मटिहानी, बहदरपुर, छपकी, सांख, बखरी, खोदावंदपुर, छौड़ाही, वीरपुर एवं बछवाड़ा आदि के इलाके में इस वर्ष भी बड़ी संख्या में किसानों ने नई-नई तकनीक से खेती किया है। परंपरागत खेती को छोड़कर नई तकनीक से खेती में किसानों का सबसे बड़ा सहारा बन रहा है गूगल और यूट्यूब। गूगल और यूट्यूब के सहारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई-नई तकनीकों का लाभ उठाकर किसान रोज नगद मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों का कहना है कि परंपरागत खेती में तीन-चार महीनों तक पूंजी और परिश्रम के बाद अनाज घर आता है। फिर उसे बेचने के लिए व्यवसायी की तलाश की जाती है लेकिन नई तकनीक से की जा रही सब्जियों की खेती में रोज नगद आय हो रही है। जिस किसान के पास अपना एक बीघा भी जमीन है वह आराम से पांच सौ से एक हजार तक रोज कमा रहा है। परंपरागत खेती में छोटे किसानों को लागत के अनुरूप आय नहीं होती थी, जिससे उनका कर्ज बढ़ता जाता है। लेकिन नई-नई तकनीक, नए तरीके से किए जा रहे खेती में छोटे-बड़े सभी किसानों को परिश्रम के अनुरूप अच्छी आय हो रही है। सब्जी उत्पादन हब के रूप में चर्चित छपकी निवासी रासो महतों परंपरागत तरीके से खेती करते थे। खेती-किसानी से जुड़े रहने के कारण उनके पुत्र राहुल कुमार महतों ने कृषि स्नातक की पढ़ाई की और अब पिता को नए-नए तरीके से नई खेती के लिए जागरूक करते रहता है। उसके बताए तरीके से खेती करने के कारण ना सिर्फ रासो महतों के आय में वृद्धि हुई है। राहुल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार किसानों की आय में वृद्धि के लिए नित नई योजना पर काम कर रही है। हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक भी नई-नई तकनीक लाकर किसानों की समृद्धि की दिशा में काम कर रहे हैं। सभी किसान अगर नई तरीके से अंतर्वर्ती खेती करें तो उनकी आय दोगुनी होने से कोई रोक नहीं सकता है। गांव में ही उनकी आत्मनिर्भरता बनेगी, वह सशक्त होंगे। इससे हमारा देश आर्थिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता की नई राह पकड़ लेगा। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा-hindusthansamachar.in