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बिहार

'अनहद नाद' में दिखा व्यक्ति जाति और गोत्र नहीं, कर्म और उज्ज्वल चरित्र से बड़ा होता है

Raftaar Desk - P2

बेगूसराय, 12 फरवरी (हि.स.)। कुछ कविताएं हमेशा प्रासंगिक होती है जो कथ्य सीधी तरह दर्शकों तक पहुंच जाए उसके लिए बहुतेरे चकाचौंध की आवश्यकता नहीं होती। इसी उद्देश्य के साथ गुरुवार की रात बेगूसराय जिला मुख्यालय स्थित दिनकर कला भवन में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा के सामने मंचित नाटक 'अनहद नाद' के माध्यम से निर्देशक ने समाज। में फैली विसंगतियों को चित्रित किया। अभी जो देश में हर समय-हर दिन आम लोगों का शोषण, उत्पीड़न खासकर महिलाओं का शोषण हो रहा है, देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इन बिन्दुओं पर रचनाओं की अभिव्यक्ति को अभिनेता के माध्यम से सम्प्रेषित किया गया। सुरभि (रूरल डेवलपमेन्ट एन्ड वेलफेयर सोसाइटी बेगूसराय) की नवीनतम प्रस्तुति 'अनहद नाद' की परिकल्पना और निर्देशन जिले के प्रथम एनएसडी स्नातक प्रसिद्ध रंग-निर्देशक हरीश हरिऔध ने किया। प्रस्तुति के माध्यम से निर्देशक ने उस अनुभूति की ओर ले जाना चाहा जो सिर्फ महसूस किया जा सकता है, अर्थात एक ऐसी ध्वनि जिसकी कोई सीमा ना हो जो किसी भी हद से पार हो। रंगमंच, रंग की अभिव्यक्ति है तथा अभिनेता जिस जगह खड़ा हो जाता है वही मंच हो जाता है। इसको मानते हुए बगैर ताम-झाम के प्रस्तुत किया गया। नाटक में निर्देशक द्वारा विभिन्न कवियों के प्रासांगिक रचनाओं को एकत्रित कर नाटक तैयार किया गया। रामधारी सिंह दिनकर के प्रसिद्ध खण्ड-काव्य रश्मिरथी के प्रथम सर्ग को युवा रंगकर्मी अमरेश कुमार ने अपने अभिनय के माध्यम से दिखाया कि किसी भी व्यक्ति की पहचान जाति, गोत्र तथा बड़े वंश में पैदा लेने से नहीं, बल्कि उसके कर्म, वचन, गुण और उज्ज्वल चरित्र से है। वहीं, प्रणय कुमार द्वारा अभिनीत जयप्रकाश कर्दम की कविता जिंदगी का प्रत्येक दिन दमन और हिंसा के मुकम्मल दौर-सा बीत गुजर जाता है। मलखान सिंह की कविता इस आदमखोर गांव में मुझे डर लगता है बहुत डर लगता है को हरिकिशोर ठाकुर द्वारा जीवंत किया गया। राजेश जोशी की कविता जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे मारे जाएंगें को रंगकर्मी इम्तियाजुल हक डब्लू ने अपने अभिनय से जीवंत किया। जबकि, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता जब-जब सिर उठाया अपनी चौखट से टकराया को चारों अभिनेता द्वारा सम्मलित रूप से दर्शकों के सामने प्रकट किया गया। नाटक में नगाड़ा, ड्रम, झाल के सुन्दर प्रयोग के साथ संगीत का संचालन दीपक कुमार ने किया। उद्घाटन वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल पतंग, नगर निगम महापौर राजीव रंजन एवं सुरभि संस्था के संस्थापक अजय कुमार भारती ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा-hindusthansamachar.in