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बिहार

पवित्र गांधी सदन को ही कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने बना डाला अपना गोदाम

Raftaar Desk - P2

पूर्णिया, 15 अप्रैल (हि.स.)। जिले के रूपौली प्रखंड स्थित टीकापट्टी गांधी सदन के मनरेगा विभाग की लापरवाही तथा अनदेखी किसी से छुपी नहीं है, अब इस परिसर में गांधी सदन को ही इस परिसर के विकास के लिए आए ठेकेदारों की टीम ने इसे अपवित्र कर डाला है। इससे पहले भी 25 दिसम्बर 2018 को ट्रेनिंग कॉलेज के भवन निर्माण के बहाने तत्कालीन ठेकेदार ने ऐतिहासिक गांधी द्वार को ही खत्म कर डाला था। 15 नवंबर 2019 से अबतक टीकापट्टी स्थित ऐतिहासिक गांधी सदन में किसी भी व्यक्ति ने श्रद्धाभाव से जूता-चप्पल पहनकर घुसना उचित नहीं समझा, आज इस परिसर में विकास कार्य को करने के लिए आए ठेकेदार के लोगों ने ना सिर्फ इसे अपना गोदाम बना डाला है, बल्कि बापू के शयन-कक्ष के आगे बरामदे पर उसने किचेन बनाकर अपवित्र कर डाला है। इससे यहां के लोगों में काफी क्षोभ व्याप्त है। यहां के लोगों ने तत्काल इस परिसर से ठेकेदार का गोदाम हटाने की मांग डीएम से की है। यह बता दें कि 15 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टीकापट्टी के इस ऐतिहासिक गांधी सदन स्थल को विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए इसे ऐतिहासिक स्थल घोषित किया था तथा इसे गांधी सर्किट से जोडते हुए इसके विकास के लिए कई घोषणाएं की थी। तब मनरेगा विभाग द्वारा इस जगह को मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना के तहत जल-जीवन-हरियाली को यहां उतारा था, परंतु मुख्यमंत्री के जाने के साथ ही मनरेगा विभाग की लापरवाही उजागर हुई तथा देखते-देखते यहां हरियाली विदा ले गयी। ऐसा लगा कि यहां कभी कोई अच्छे क्षण आए ही नहीं थे। उसने वह पौधा भी नहीं बचा पाया था, जो स्वयं मुख्यमंत्री महात्मा गांधी के नाम से रूद्राक्ष का पौधा लगाया गया था। आज फिर एकबार इस परिसर को विकास के नाम पर पूरी तरह से अपवित्र कर दिया गया है। इस सदन के सभी कमरे खुले हुए थे, सभी में कोई-न-कोई सामन रखे हुए थे। और-तो-और बापू के शयक्ष-कक्ष के आगे बरामदे पर मजदूर खाना बनाता दिखा। प्रखंड पेंशनर समाज के पूर्व अध्यक्ष दिनेश मंडल, भाजपा मंडल अध्यक्ष अरविंद साह आदि ने कहा कि इससे बडी बात क्या हो सकती है, जिस स्थल को पिछले कई दशकों से लोगों ने अपने दिलों में श्रद्धा बनाकर रखी, वैसी जगह को अपवित्र कर दिया गया। ठेकेदार के मुंशी विवेक कुमार ने बताया कि उसे यहीं रहने के लिए कहा गया था, इसलिए वह इसमें रह रहा है। कुल मिलाकर गांधी सदन परिसर की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि बापू के प्रति किसी को कोई श्रद्धाभाव नहीं रह गया है, बस दिखावे के लिए लोग उनके आगे सिर झुकाते हैं, अन्यथा ऐसा नहीं होता। ठेकेदार उस पवित्र जगह को छेडता भी नहीं तथा उसके बाहर टेंट या अन्य उपाय करके अपने सामान एवं मजदूरों को रखता। देखें इस पवित्र जगह को फिर से पवित्र करने के लिए कोई उपाय किया जाता है या नहीं। हिन्दुस्थान सामाचार /नन्दकिशोर