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बिहार

दस दिवसीय ऑनलाईन एक्टिंग वर्कशॉप का समापन

Raftaar Desk - P2

बेगूसराय, 30 जून (हि.स.)। माॅडर्न थियेटर फाॅउण्डेशन बेगूसराय की ओर से 21 जून से चल रहे निःशुल्क ऑनलाईन एक्टिंग वर्कशॉप का समापन बुधवार को हो गया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी डाॅ. अनिल पतंग ने प्रतिभागियों को नियमित अभ्यास करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आधुनिक रंगमंच के साथ लोक कला, लोक नाट्य, लोक नृत्य-संगीत आदि लोक संस्कृति को भी समझने की जरूरत है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय हैदराबाद के पीएचडी स्काॅलर तथा नाट्य निर्देशक अमित रौशन ने विधिवत प्रशिक्षण पर बल दिया तथा प्रतिभागियों को नाटक, कहानी, कविता एवं उपन्यास पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए बहुत मेहनत करने की आवश्यकता है, तभी सफलता मिलेगी। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए विभिन्न संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के संबंध में भी बताया। केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखंड से नाट्यकला में स्नातकोत्तर कर रहे अमरजीत कुमार ने कहा कि नये अभिनेता को स्थानीय संस्था से जुड़कर कुछ दिनों तक नियमित नाटक करना चाहिए, ताकि आगे बढ़ने से पहले प्रारंभिक ज्ञान हो सके। स्तानिस्लाव्स्की, ब्रेख्त, भरतमुनि आदि का नाम पहले जान चुका था अब विस्तार से पढ़ रहा हूं। निर्देशक एवं मुख्य प्रशिक्षक परवेेज यूसुफ ने कहा कि नये अभिनेताओं को दो-तीन साल में यह तय कर लेना चाहिए कि शौकिया रंगमंच करना है, फिल्म एवं धारावाहिक में अभिनय करना है या नाटक का शिक्षक अथवा प्राध्यापक बनना है।आज के नये अभिनेता जल्दी-जल्दी सीखना तो चाहते हैंं, लेकिन अभ्यास नहीं करते हैं, केवल निर्देशक पर ही आश्रित रहते हैं। तीन से पांच साल पुराने अभिनेताओं को भी मंच पर चलने और बोलने के लिए निर्देशक को ही सीखाना पड़ता है। वैसे सीखने के लिए भी सीखना पड़ता है। निर्देशक अथवा प्रशिक्षक तो गाईड मात्र होता है। नये अभिनेताओं को दो-तीन साल में यह तय कर लेना चाहिए कि शौकिया रंगमंच करना है, फिल्म एवं धारावाहिक में अभिनय करना है या नाटक का शिक्षक अथवा प्राध्यापक बनना है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा