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बिहार

मुचकुंद मोनू के निधन से मर्माहत है बेगूसराय, हर ओर शोक की लहर

Raftaar Desk - P2

बेगूसराय, 19 अप्रैल (हि.स.)। जनपद के प्रखर युवा आलोचक, सुयोग्य शिक्षक और दिनकर पुस्तकालय सिमरिया के सचिव मुचकुंद कुमार मोनू के असामयिक निधन से जिले के साहित्यकार, रंगकर्मी, प्रगतिशील विचारधारा के बुद्धिजीवी, पत्रकार विभिन्न राजनीतिक दल के लोगों तथा सामाजिक कार्यकर्ता शोक में डूब गए हैं। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा है। वे विगत दो दिनों से पीएमसीएच पटना में भर्ती थे, जहां कि जिंदगी की जंग हार गए। सोमवार को अंतिम संस्कार सिमरिया गंगातट पर किया गया, भाई सोनू कुमार ने मुखाग्नि दिया है। पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष राज किशोर सिंह, जदयू के पूर्व जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय पूर्व, विधायक कुंदन कुमार, राजकुमार सिंह सूर्यकांत पासवान, राम रतन सिंह, पूर्व विधायक अवधेश कुमार राय एवं एआईएसएफ के राज्य अध्यक्ष अमीन हमजा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि राष्ट्रकवि दिनकर को राष्ट्रीय फलक पर प्रतिवर्ष जयंती एवं पुण्यतिथि की ऐतिहासिक क्षण को जिंदा बनाए रखने एवं सिमरिया को साहित्यिक तीर्थ के रूप में गौरवान्वित करने वाला क्रांतिकारी हमसफर का निधन होना खलता रहेगा। अब सिमरिया सहित पूरे बेगूसराय जनपद को मुचकुंद की रिक्तता को भरने का कार्यभार स्वीकार करना होगा। जिस जानलेवा व्यवस्था जनित विषाणु ने उसे लील लिया उसे शिकस्त देने की भी जवाबदेही सभी जनवाद पसंद तमाम साथियों की होगी। जनकवि दीनानाथ सुमित्रा, मोनू के ग्रामीण साहित्यकार पत्रकार प्रवीण प्रियदर्शी, विनोद बिहारी, संजीव फिरोज आदि ने कहा कि सात वर्षों सेे दिनकर पुस्तकालय के सचिव पर आसीन मुचकुंद कुमार मोनू 2003 में कला संस्कृति की जनपक्षीय संस्था प्रतिबिंब से जुड़े और सचिव बनकर सांगठनिक मजबूती प्रदान किया। साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों को तेज करते हुए जनपद में अपनी एक अलग पहचान बनाई। वर्ष 2006 में राष्ट्रीय जनमुक्ति पत्रिका में सहायक संपादक के तौर पर लेखन एवं संपादन का कार्य किया। सिमरिया को साहित्यिक तीर्थभूमि बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। जनसंस्कृति मंच बेगूसराय की ओर से वरिष्ठ रंग-निर्देशक दीपक सिन्हा ने कहा कि आज रंगमंच एवं साहित्य जगत ने एक अमूल्य रत्न खो दिया है। इन्होंने वर्तमान सत्ता व्यवस्था पर सवाल उठाया है कि ऐसी व्यवस्था में कला, साहित्य एवं रंगमंच कैसे जी सकेगाा। वहीं युवा रंगकर्मी अमरेश कुमार ने कहा कि मुचकुंद भैया हम युवा कलाकरों का हमेशा मनोबल बढ़ाते और सभी सांस्कृतिक गतिविधियों में एक बेहतर रंगदर्शक की भूमिका निभाते रहे । जसम की नाट्य इकाई रंगनायक द्वारा आयोजित नुक्कड़ लाइव सहित जसम के अन्य कार्यक्रमों में भी सक्रिय रूप से उनका सहयोग मिलता रहा था। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा