Himanta Biswa Sarma
Himanta Biswa Sarma Raftaar
असम

मुस्लिम मैरिज एक्ट को लेकर असम विधानसभा में विपक्ष पर गरजे CM सरमा, कहा- जब तक मैं जीवित हूं..बाल विवाह नहीं..

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने विधानसभा के चालू बजट सत्र में विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथों लेते हुए निशाना साधा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने एक बार फिर कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस के लोग इस बात को गांठ बांध लें मेरी बात ध्यान से सुनो, जब तक मैं जीवित हूं मैं असम में बाल विवाह नहीं होने दूंगा। जब तक हिमंता बिस्व सरमा जीवित हैं मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।" उन्होंने आगे कहा कि 2026 से पहले वे असम में मुसलमान बच्चों को लेकर चल रहे दुकान को बंद करके रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 5, 6, 7 साल की बच्चियों की शादी कर उसका जीवन बर्बाद करने वाले इस कारोबार को बंद करना मेरे लिए बहुत बड़ा काम है और मैं ये करके ही रहूंगा।

कांग्रेस और एआईयूडीएफ किया था विरोध

दरअसल, असम सरकार ने हाल ही में मुस्लिम विवाह और तलाक अधिनियम को निरस्त करने की मंजूरी दी थी। जिसके बाद इस पर विपक्षी पार्टियों ने राजनीति शुरू कर दी। मुस्लिम विवाह कानून को निरस्त किए जाने के बाद कांग्रेस और एआईयूडीएफ जैसी विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा है। इसी के जावाब में आज असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने विधानसभा सभी विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथों लिया और इसका जवाब दिया।

हिमंता बिस्व सरमा ने एक्स पर शेयर किया वीडियो

विधानसभा सत्र का एक वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए कहा, 'कांग्रेस के लोग सुन लें, जब तक मैं, हिमंत बिस्वा सरमा ज़िंदा हूं, तब तक असम में छोटी बच्चियों का विवाह नहीं होने दूंगा। आप लोगों ने मुस्लिम समुदाय की बेटियों को बर्बाद करने की जो दुकान खोली है उन्हें पूरी तरह से बंद किए बिना हम चैन से नहीं बैठेंगे।'

मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून, 1935 खत्म

आपको बता दें पिछले साल भी उन्होंने कहा था कि राज्य से 2026 के पहले बाल विवाह खत्म किया जाएगा। इसको लेकर के उन्होंने दो दिन पहले ही असम सरकार ने राज्य में बाल विवाह पर रोक के लिए मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून, 1935 खत्म कर दिया। इसे लेकर शुक्रवार देर रात हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया था। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से साझा की थी। सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि '23 फरवरी को असम कैबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए वर्षों पुराने असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून को वापस ले लिया गया है। इस कानून में ऐसे प्रावधान थे कि अगर दूल्हा और दुल्हन शादी की कानूनी उम्र यानी लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल के नहीं हुए हैं, तो भी शादी को पंजीकृत कर दिया जाता था। उन्होंने कहा कि 2026 तक वे राजनीतिक रूप से इस व्यापार को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे।

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