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असम

एजेपी ने की सोनोवाल सरकार से आर्थिक श्वेत पत्र जारी करने की मांग

Raftaar Desk - P2

गुवाहाटी 22 फरवरी (हि.स.)। असम जातीय परिषद (एजेपी) ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल सरकार से 2016 से 2021 तक राज्य के आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। एजेपी के महासचिव जगदीश भुइंया की ओर से सोमवार को जारी एक बयान कहा गया है कि असम को वर्ष 1969 से विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था जिसको वर्ष 2015 में केंद्र की भाजपा सरकार ने रद्द कर दिया। इसके चलते असम को प्रति वर्ष 07 से 09 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने असम को मिलने वाले 35 सौ करोड़ रुपये की कमी कर दिया है। मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से सच्चाई को छुपाकर रखा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने राज्यवासियों को सिर्फ ब्याज दिया है। राज्य सरकार बैंकों से और केंद्र सरकार से सिर्फ ऋण ले रही है। विकास कार्यों के लिए ऋण लेना सामान्य बात है लेकिन ऋण लेकर राज्य की आय को बढ़ाना चाहिए मगर ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में राज्य के मूलधन में कोई वृद्धि नहीं हुई है। कहा कि सोनोवाल सरकार द्वारा लिए गये ऋण का परिमाण 46 हजार करोड़ रुपये हो गया है। सरकार ने यह ऋण राज्यवासियों के सिर पर थोप दिया है। इतना बोझ आज तक किसी भी सरकार ने नहीं थोपा था। उन्होंने कहा कि सोनोवाल सरकार ने बैंक और केंद्रीय सरकार से लगभग 15 हजार करोड़ रुपये केवल ब्याज देने के नाम पर व्यवहार किया है। यह तथ्य रिजर्व बैंक के प्रतिवेदन में प्रकाशित हुआ है। एजेपी के महासचिव ने कहा कि सोनोवाल सरकार का द्वारा पेश किये गए पांचों बजट के संबंध में वित्त मंत्री कहते हैं कि 90 फीसद पैसे का उपयोग हुआ है। उन्होंने कहा कि पूरी तरह से झूठ है। उन्होंने कहा कि 2016-17 वित्त वर्ष से 2019-20 वित्त वर्ष तक कुल लगभग 8 लाख 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के लिए बजट में निर्धारित किया गया था। लेकिन लगभग 2 लाख 76 हजार करोड़ रुयये खर्च हुए हैं। यानी गत चार वर्ष में लगभग 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का व्यवहार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि एजेपी का उद्देश्य लाभार्थियों के बदले उत्पादनकर्ताओं की संख्या को बढ़ाया जाएगा। उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से आर्थिक व्यवस्था के संबंध में कई बातों को साझा किया है। हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद