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दुनिया

डब्ल्यूएचओ की अमीर देशों से चाइल्ड वैक्स में देरी करने, खुराक दान करने की अपील

Raftaar Desk - P2

लंदन, 16 मई (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि अमीर देशों को अपने बच्चों और टीनएजर्स को कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण की अपनी योजना में देरी करनी चाहिए और इसके बजाय कम आय वाले देशों को खुराक दान करनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ ट्रेडोस एडनॉम ग्रेबियसिस ने शुक्रवार को जिनेवा में एक सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, मुट्ठी भर अमीर देशों ने टीके की आपूर्ति का अधिकांश हिस्सा खरीदा है, वो अब कम जोखिम वाले समूहों को टीका लगा रहे हैं। ग्रेबियसिस ने कहा, मैं समझता हूं कि कुछ देश अपने बच्चों और टीनएजर्स का टीकाकरण क्यों करना चाहते हैं, लेकिन अभी मैं उनसे पुनर्विचार करने और इसके बजाय कोवैक्स के टीके दान करने का अनुरोध करता हूं। एक बयान के मुताबिक, पिछले हफ्ते, अमेरिका, कनाडा और स्विटजरलैंड ने किशोरों के लिए कोरोनावायरस वैक्सीन शॉट्स शुरू करने की योजना बनाई है। कोविड के टीकों का वैश्विक वितरण काफी असमान है। 1.2 अरब (वैश्विक जनसंख्या का 16 प्रतिशत) की आबादी वाले दुनिया के उच्च आय वाले चार देशों के पास 4.6 अरब खुराक (सभी खरीदी गई खुराक का 53 प्रतिशत) मौजूद है। दूसरी ओर, ड्यूक ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के एक अध्ययन के अनुसार, कम आय वाले देशों में सिर्फ 77 करोड़ खुराक हैं। अध्ययन में पाया गया है कि अमेरिका में जुलाई के अंत तक 30 करोड़ या अधिक कोरोनावायरस वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक होने की उम्मीद है। अमेरिका, उसके बाद चीन और भारत ने कुल मिलाकर वैक्सीन की सबसे अधिक खुराक दी है। लेकिन, अफ्रीका के कुछ देशों ने अभी तक टीकाकरण अभियान शुरू भी नहीं किया है। ग्रेबियसिस ने कहा, वर्तमान में वैक्सीन की आपूर्ति का केवल 0.3 प्रतिशत ही कम आय वाले देशों में जा रहा है। इस तरह, कई निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य और देखभाल कर्मियों के टीकाकरण के लिए टीके की आपूर्ति नहीं है। उन्होंने कहा, ट्रिकल डाउन टीकाकरण एक घातक श्वसन वायरस से लड़ने के लिए एक प्रभावी रणनीति नहीं है। ग्रेबियसिस ने कहा, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और टीकाकरण के संयोजन के साथ जीवन और आजीविका को बचाना, एक या दूसरे का नहीं बल्कि महामारी से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है। उन्होंने कहा, कोविड -19 में पहले ही 30 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हम इस महामारी के दूसरे साल के लिए पहले की तुलना में कहीं अधिक घातक होने की राह पर हैं। --आईएएनएस एसएस/आरजेएस