suspicious-us-lab-should-accept-covid-origin-test
suspicious-us-lab-should-accept-covid-origin-test 
दुनिया

संदिग्ध अमेरिकी प्रयोगशाला को कोविड उत्पति जांच स्वीकार करनी चाहिए

Raftaar Desk - P2

बीजिंग, 30 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिकी खुफिया एजेंसी द्वारा हाल में जारी तथाकथित कोरोना वायरस उत्पति जांच रिपोर्ट में कहा गया कि वायरस का प्रयोगशाला से निकलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। चीन हमेशा कोविड वायरस उत्पति की वैज्ञानिक जांच का समर्थन करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीनी पक्ष के विशेषज्ञ दल ने इस मार्च में जारी रिपोर्ट में कहा कि चीन के प्रयोगशाला से कोरोना का निकलना अत्यंत असंभव है। लेकिन अमेरिका प्रयोगशाला से वायरस का निकलने पर अड़ियल रहता है तो समानता और निष्पक्षता के आधार पर अमेरिका को अपने संदिग्ध प्रयोगशाला खोलकर समदशीर्ता से अंतरराष्ट्रीय जांच स्वीकार करनी चाहिए। यह सर्वविदित है कि वुहान वायरस अनुसंधान संस्थान को दो बार डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों का सत्कार किया है। लेकिन अमेरिका ने कभी भी बाहर के लिए जैविक प्रयोगशाला खोला। खास बात है कि अमेरिकी डेट्रिक फोर्ट जीव प्रयोगशाला और उत्तर कारोलिना विश्वविद्यालय का कोरोना वायरस के अध्ययन का लंबा इतिहास है और खराब सुरक्षा रिकार्ड भी है। अमेरिका का विचार है कि वायरस का प्रयोगशाला से निकलने से इंकार नहीं किया जा सकता तो उसे सबसे पहले अपने दो संदिग्ध प्रयोगशाला खोलने चाहिए। इसके अलावा, विश्व भर में अमेरिका के दो सौ से अधिक जैविक प्रयोगशाला हैं। वायरस स्रोत की जांच में अमेरिका खुद ही अपार्दर्शी, गैर-जिम्मेदार और असहयोग है, लेकिन वह चीन पर झूठा आरोप लगाता है। यह उल्टे चोर कोतवाल को डांटने जैसा है। वास्तव में वह राजनीतिक वायरस फैला रहा है, जिसने वैश्विक महामारी के साथ मुकाबले पर गंभीर नुकसान पहुंचाया है। (साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) --आईएएनएस एएनएम