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दुनिया

नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस: प्यार है, बाधा नहीं

Raftaar Desk - P2

बीजिंग, 19 मार्च (आईएएनएस)। 21 मार्च, 1960 को, दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसवाल प्रांत के शार्पविले शहर में अफ्रीकियों ने दक्षिण अफ्रीका के प्रशासन द्वारा लागू किये गये नस्लीय भेदभाव को बढ़ाने वाले पास कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। इस कानून के अनुसार 16 वर्ष से अधिक आयु के गैर-श्वेत लोगों को अपने साथ एक पास रखने की जरूरत थी और अपर्याप्त दस्तावेजों वाले लोगों को किसी भी समय गिरफ्तार किया जा सकता है। प्रदर्शनकारियों को दक्षिण अफ्रीका के प्रशासन द्वारा क्रूरता से दबा दिया गया। 70 से अधिक लोग मारे गए थे और 240 से अधिक घायल हुए थे, जो दुनिया को झकझोर करने वाला नरसंहार बन गया। इस घटना की याद रखने और नस्लीय भेदभाव का विरोध करने के लिए, 1966 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित करने का प्रस्ताव पारित किया। नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव का विरोध करना हमेशा संयुक्त राष्ट्र की प्राथमिकताओं में से एक रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ सिलसिलेवार घोषणाओं और कन्वेंशनों को तैयार कर पारित किया है। हर साल 21 मार्च को दुनिया भर के देश और संबंधित संयुक्त राष्ट्र संस्थाएं नस्लीय भेदभाव का विरोध करने की अपील करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करती हैं। संयुक्त राष्ट्र के संवर्धन में दुनिया भर के देशों ने नस्लीय भेदभाव को खत्म करने में काफी प्रगति हासिल की है और कई देशों ने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ कानून पारित किए हैं। लेकिन ,इधर के सालों में दुनिया के कई हिस्सों में नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, नस्लीय बहिष्कार और अन्य घटनाएं बढ़ रही हैं। वर्तमान दुनिया भर में फैल रही कोविड-19 हमें याद दिलाती है कि हमारा मानव का भाग्य आपस में जुड़ा हुआ है और सभी देशों की भलाई एक दूसरे पर निर्भर है। 26 मार्च, 2020 को, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जी 20 के विशेष शिखर सम्मेलन में भाषण देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विश्वास को मजबूत करना, एकजुट होकर संयुक्त रूप से निपटारा करना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को व्यापक रूप से बढ़ाना चाहिए। नस्लीय भेदभाव को खत्म करना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे रातोंरात किया जा सकता है, यह एक दीर्घकालिक कार्य है। भेदभाव से पीड़ित जातियों को न केवल हमारी ओर से राजनीतिक और आर्थिक सहायता की आवश्यकता है, बल्कि हमारे दिल की गहराई से भेदभाव को खत्म करने और उन्हें स्वीकार करने की भी आवश्यकता है। सामग्री केवल बाहरी सजावट और जीवन की सबसे बुनियादी जरूरतें हैं, और आंतरिक आत्म-सम्मान और आत्म-सुधार एक राष्ट्र की असली रीढ़ है। इसलिए, नस्लीय समस्या को हल करने का मुख्य साधन कम उम्र से समानता चेतना की खेती पर ध्यान केंद्रित करना और जनता के गैर-भेदभावपूर्ण नैतिक स्तर के सुधार पर ध्यान केंद्रित करना होना चाहिए। जनता इतिहास की निर्माता है। केवल जब हम में से प्रत्येक अपने दिल की गहराई में ²ढ़ता से विश्वास करने लगेगा कि सभी लोग समान हैं, तो नस्लीय भेदभाव पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। (साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) --आईएएनएस एएनएम