विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) और भागीदारों द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अफ़्रीका में खाद्य असुरक्षा, ग़रीबी और विस्थापन में जलवायु परिवर्तन का बड़ा हाथ रहा है. मंगलवार को जारी, ‘द स्टेट ऑफ़ द क्लाइमेट इन अफ़्रीका 2020’ नामक यह रिपोर्ट, महाद्वीप की असमान सम्वेदनशीलता उजागर करती है, लेकिन साथ ही इससे यह भी स्पष्ट होता है कि किस तरह जलवायु अनुकूलन, प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली और मौसम व जलवायु सेवाओं में निवेश, फ़ायदे का सबब बन सकता है. डब्लूएमओ के महासचिव, पेटेरी तालस ने कहा कि 2020 के दौरान अफ़्रीका में जलवायु परिवर्तन के संकेतकों में, निरन्तर बढ़ता तापमान, समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम और बाढ़, भूस्खलन व सूखे जैसी जलवायु घटनाएँ देखी गईं. सिकुड़ रहे मशहूर ग्लेशियर उन्होंने चेतावनी दी, "पूर्वी अफ़्रीका में शेष बचे हिमनदों (ग्लेशियरों) का तेज़ी से सिकुड़ना - जिनकी निकट भविष्य में पूर्ण रूप से पिघलने की आशंका है - पृथ्वी प्रणाली में आसन्न और अपरिवर्तनीय बदलाव के ख़तरे का संकेत देते हैं." अफ़्रीका में केवल तीन पहाड़ ग्लेशियरों से ढके हैं: माउण्ट केन्या मासिफ, युगाण्डा में रवेन्ज़ोरी पर्वत और तन्ज़ानिया में माउण्ट किलिमन्जारो. भले ही ग्लेशियर महत्वपूर्ण जल भण्डार के रूप में कार्य करने के लिये बहुत छोटे हों, लेकिन डब्लूएमओ ने स्पष्ट किया कि पर्यटन और वैज्ञानिक रूप से वे बेहद अहम हैं. वर्तमान में, उनके पीछे हटने की दर वैश्विक औसत से अधिक है, और 2040 तक "पूर्ण विघटन" सम्भव है. संयुक्त राष्ट्र एजेन्सी ने कहा कि माउण्ट केन्या के एक दशक पहले ही विघटित होने की उम्मीद है, जिससे यह मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर का आवरण खोने वाली पहली सम्पूर्ण पर्वत श्रृँखलाओं में से एक बन जाएगी. लाखों लोग जोखिम में यह रिपोर्ट डबल्यूएमओ (WMO), अफ़्रीकी संघ आयोग, अफ़्रीका जलवायु नीति केन्द्र (ACPC) के ज़रिये अफ़्रीका के आर्थिक आयोग (ECA), संयुक्त राष्ट्र एजेन्सियों और अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय वैज्ञानिक संगठनों के बीच सहयोग से तैयार की गई है. इस रिपोर्ट को, ग्लासगो, स्कॉटलैंड में दो सप्ताह के भीतर शुरू होने वाले यूएन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, COP26 से ठीक पहले, वर्तमान समय में ऑनलाइन चल रही WMO काँग्रेस के असाधारण सत्र के दौरान जारी किया गया है. अफ़्रीकी संघ आयोग में ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि आयुक्त, जोसेफ़ा लियोनेल कोरेरिया सैको ने कहा, मौसम और जलवायु परिवर्तनशीलता में वृद्धि, जीवन और अर्थव्यवस्थाओं में बाधा उत्पन्न कर रही हैं. अनुमान बताते हैं कि 2030 तक, महाद्वीप के 11.8 करोड़ सर्वाधिक ग़रीब लोग सूखे, बाढ़ और अत्यधिक गर्मी से पीड़ित होंगे, जिससे ग़रीबी उन्मूलन और विकास में बाधा पड़ेगी. उन्होंने बताया, " 2050 तक, उप-सहारा अफ़्रीका में जलवायु परिवर्तन के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 3% तक की कमी आ सकती है.यह जलवायु अनुकूलन और लचीलेपन के कार्यों के लिये एक गम्भीर चुनौती प्रस्तुत करता है क्योंकि इससे न केवल पर्यावरणीय स्थिति बिगड़ रही है, बल्कि प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है." रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि उप-सहारा अफ़्रीका के लिये अगले दशक में, जलवायु अनुकूलन में प्रत्येक वर्ष 30 से 50 अरब डॉलर के बीच निवेश करना होगा, यानि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग दो से तीन फीसदी. रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि अफ़्रीकी अनुकूलन रणनीतियों के तेज़ी से कार्यान्वयन से आर्थिक विकास के साथ-साथ महामारी के बाद की पुनर्बहाली से कामकाज के अवसरों में बढ़ोत्तरी होगी. अफ़्रीकी संघ के लिये हरित पुनर्बहाली योजना की प्राथमिकताओं पर चलने से, टिकाऊ पुनर्बहाली के साथ-साथ प्रभावी जलवायु कार्रवाई भी सम्भव होगी. --संयुक्त राष्ट्र समाचार/UN News