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दुनिया

शरद ऋतु में उड़ती तितलियां अच्छे पारिस्थितक तंत्र का संकेत

Raftaar Desk - P2

बीजिंग, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। वर्षा ऋतु के समापन के साथ इन दिनों शरद ऋतु का आगमन हो चुका है। कैलेंडर में शरद ऋतु के दौरान दो महीने आश्विन और कार्तिक माह को रखा जाता है। इसी दौरान सूर्य की किरणें भी फूल पत्तियों को अपने आगोश में ले रही होती हैं और निरंतर हो रही वर्षा की वजह से चारों ओर फैली नमी भी सूरज के ताप के चलते कम होती जाती है। गुलाबी ठंड के मौसम में दस्तक देने का सिलसिला शुरू होने को है लेकिन इसी दौरान एक जीव जो लगातार फूलों और पत्तियों के आस-पास मंडराता दिखाई दे रहा है वो हैं तितलियां। तेज धूप के पड़ते ही तितलियों ने भी बाहर निकलना शुरू कर दिया है। इन दिनों सूरज की तीव्र रौशनी में फूलों का रस चखने और परागण करने के लिए अब कई तरह की तितलियों को देखा जा सकता है। जानकार बताते हैं जैव विविधता के लिए हमारे आस-पास तितलियों का होना एक अच्छा संकेत होता है। इसका अर्थ ये लगाया जाता है कि उस जगह एक अच्छा पारिस्थितक तंत्र यानी इकोसिस्टम मौजूद है। साथ ही ये तितलियां फूड चैन या खाद्य श्रृंखला की एक अहम कड़ी भी होती हैं। तितलियों के लिए सितंबर का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। देश भर में करीब 1300 से अधिक प्रजाति की तितलियां पाई जाती हैं। जिसमें डेडलीफ या ओकलीफ को नेशनल तितली के रुप में उल्लेखित किया गया है। इसके पंख सूखे पत्ते या भूरे रंग की तरह होते हैं जो कि इन्हें शिकारियों से बचने में मदद भी करते हैं। तितली के जीवनचक्र पर नजर दौड़ाएं तो इसमें चार भाग होते हैं। हालांकि इनका जीवन काफी कम समय के लिए होता है। ऑथ्रोर्पोड या कीट की श्रेणी में आने वाली तितलियों के तीन जोड़ी यानी छह पैर होते हैं और लंबी सूंडनुमा जीभ भी होती है जिससे ये फूलो का रस सेवन करने का कार्य करती हैं। इनके सिर पर दो एन्टिना नुमे उभार भी निकले हुए होते हैं जिससे तितलियां गंध का पता लगती हैं। किसी स्थान पर तितलियों की ज्यादा आबादी का अर्थ वहां मौजूद अच्छे पर्यावरण से लगाया जाता है। हालांकि जलवायु परिवर्तन की वजह से तितलियों की की आबादी पर भी संकट आया हुआ है। कई तरह के कीटनाशकों का प्रयोग इनकी जनसंख्या पर असर डालता है। लिहाजा तितलियों की कुछ प्रजातियां दुर्लभ और संकटग्रस्त की श्रेणी में आने की वजह से अपनी अस्तित्व को लेकर जूझ भी रही हैं। तितलियों का सबसे मुख्य काम परागण का होता है जिसे ये फूलों का रस पीकर करती हैं और इसी प्रक्रिया की वजह से फूल फल में तब्दील हो पाते हैं। ( साभार. चाइना मीडिया ग्रुपए पेइचिंग) --आईएएनएस एएनएम