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दुनिया

100 साल : सीपीसी ने जीता नागरिकों का विश्वास व समर्थन

Raftaar Desk - P2

बीजिंग, 16 मई (आईएएनएस)। चालू साल की 1 जुलाई को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ है। इस अहम मौके को मनाने के लिए चीन में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। भारतीय लोगों की नजर में सीपीसी कैसी पार्टी है और आधुनिक चीन के लिए उसका क्या मुख्य योगदान है, इस मुद्दे को लेकर सीएमजी संवाददाता ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में चीन और भारत के बीच गैर सरकारी आदान प्रदान में सक्रिय रहे रविशंकर बसु के साथ खास बातचीत की। रविशंकर बसु न्यू होराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब के संस्थापक हैं। उनको चाइना रेडियो इंटरनेशनल के कार्यक्रम सुनकर चीन के मामलों में रुचि पैदा हुई और तब से लंबे समय से चीनी मामले पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने चीन-भारत गैर सरकारी आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए रक्तदान जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं और दोनों देशों की मीडिया में आपसी समझ गहराने के लिए कई आलेख भी लिखे हैं, जिनमें ग्लोबल टाइम्स, सीजीटीएन, सीआरआई आदि प्रमुख मीडिया शामिल हैं। गैर सरकारी मित्रता की मजबूती में उनके योगदान के लिए कोलकाता स्थित चीनी महावाणिज्य दूतावास ने उनको चीन की यात्रा करने का विशेष निमंत्रण भी दिया था। साक्षात्कार में बसु ने बताया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीसी की स्थापना 1921 में की गई थीं, जिसके संस्थापकों में दिवंगत महान चीनी नेता माओत्से तुंग शामिल थे। पार्टी का उद्देश्य चीनी लोगों के जीवन में खुशहाली लाना और चीनी राष्ट्र के लिए कायाकल्प करना रहा है जो सीपीसी की सफलता का नुस्खा है। 1921 में सीपीसी की स्थापना के बाद तीन घटनाओं ने चीन और पूरी दुनिया में एक स्थायी छाप छोड़ी। 1: चीन की कृषि क्रांति 2 : चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध की विजय और 3 : 1949 में चीन के कोमिंगतांग शासन से मुक्त होकर चीनी लोक गणराज्य की स्थापना। इन तीन ऐतिहासिक घटनाओं ने उस युग के विशेष महत्व को दर्शाया और सीपीसी ने इन तीनों घटनाओं के पीछे ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी और चीन और पूरी दुनिया के लिए सीपीसी के योगदान का जश्न मनाने का हर कारण है। यह सेलिब्रेशन उस समय होने जा रहा है, जब अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश सीपीसी को बदनाम करने के लिए आरोप लगा रहे हैं। बसु के विचार में 100 साल पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के बाद से, आज यह 90 मिलियन से अधिक सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। यह गर्व की बात है कि सीपीसी सबसे बड़ी आबादी और दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश का नेतृत्व करती है। सीपीसी ने चीनी लोगों का विश्वास और समर्थन जीता है। सीपीसी का महान आत्मविश्वास सामाजिक शासन, आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, संप्रभुता की रक्षा, कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में उसके प्रदर्शन से आता है। पिछले 70 सालों में चीन ने विभिन्न क्षेत्रों में महान कामयाबियां प्राप्त कीं, इसका श्रेय मेहनती चीनी जनता और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की दूरदृष्टि का परिणाम है और साथ ही सीपीसी की प्रभावशाली उपलब्धियां भारत समेत अन्य देशों के लिए उदाहरण पेश करती हैं। बसु ने बताया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में गरीबी दूर करने में चीन की लड़ाई असंभव को संभव बनाने की कहानी है। साल 2012 में सत्ता में आने के बाद से ग्रामीण क्षेत्रों का गरीबी उन्मूलन राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वपूर्ण पहल रही है। इस साल 25 फरवरी को, शी चिनफिंग ने देश को अत्यधिक गरीबी के अभिशाप से पूरी तरह मुक्त घोषित किया। चीन ने संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक वैश्विक गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य से 10 साल पहले यह लक्ष्य पूरा किया है। चीन के गरीबी उन्मूलन से यह जाहिर है कि गरीबी की समस्या अपराजेय नहीं है। चीनी विशेषता वाले गरीबी-विरोधी अभियान की सफलता ने वैश्विक गरीबी में कमी और मानव विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गरीबी उन्मूलन में चीन की असाधारण उपलब्धियां भारत समेत दुनिया के अन्य विकासशील देशों के लिए सीखने के योग्य हैं। बसु ने बताया कि उन्होंने अपने आंखों से आधुनिक चीन के विकास को देखा है। उन्होंने कहा, सड़क पर लोगों के साथ बातचीत करने के बाद मुझे पता चला कि हर चीनी व्यक्ति के पास सरकारी सुविधाओं का लाभ पहुंचता है और चीनी लोग सरकार की नीतियों से बहुत खुश नजर आते हैं। मुझे युन्नान प्रांत के खुनमिंग के साथ चीन की महान दीवार, थ्येन आनमन चौक, समर पैलेस, टैंपल ऑफ हैवन व बर्डस नेस्ट आदि जगहों पर जाने का मौका मिला। इन सभी जगहों पर मैंने देखा कि सड़कें बहुत साफ-सुथरी हैं। हर चीनी नागरिक विदेशी मेहमानों का आदर सत्कार करता है। इसके साथ ही चीनी लोग डिजिटल पैमेंट करना ज्यादा पसंद करते हैं। चीन की तरक्की देखकर लगा कि हमारा देश चीन की तरह कब विकास करेगा इसके साथ ही बसु को उम्मीद है कि दोनों देश राजनीतिक विवादों को भूलकर कंधे से कंधा मिलाकर दोनों देशों की जनता के हित में अधिक काम करेंगे। (साभार : चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) --आईएएनएस एसजीके