आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने बिकसित की बेकार प्लास्टिक बोतलों से असरदार फेस मास्क बनाने की स्वदेशी तकनीक
आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने बिकसित की बेकार प्लास्टिक बोतलों से असरदार फेस मास्क बनाने की स्वदेशी तकनीक 
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आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने बिकसित की बेकार प्लास्टिक बोतलों से असरदार फेस मास्क बनाने की स्वदेशी तकनीक

Raftaar Desk - P2

मंडी, 07 जून (हि. स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने बेकार प्लास्टिक बोतलों से असरदार फेस मास्क बनाने की स्वदेशी तकनीक विकसित की है। आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमीत सिन्हा राय ने अपने शोध विद्वान आशीष काकोरिया और शेषनाग सिंह चंदेल के साथ बेकार प्लास्टिक बोतल से नैनो-नॉनवोवन मेंब्रन की एक पतली परत विकसित है। कणों को फिल्टर करने में एन 95 रेस्पिरेटर और मेडिकल मास्क के बराबर सक्षम है। इस प्रोडक्ट का विकास और परीक्षण आईआईटी मंडी के मल्टीस्केल फैब्रिकेशन और नैनो टेक्नोलॉजी लैबरोटरी में किया गया है। मास्क के लिए शोध टीम द्वारा विकसित नैनो-नॉनवेवन मेम्ब्रेन की एक पतली परत 0.3 माइक्रोन तक के अत्यंत सूक्ष्म वायु कणों को फिल्टर करने में 98 प्रतिशत से अधिक सक्षम है। ये कण सबसे अधिक अंदर घुसने वाले माने जाते हैं और इन्हें रोकना सबसे मुश्किल होता है। अब शोधकर्ताओं का लक्ष्य बाजार के मेल्ट-डाउन फैब्रिक मास्क के बदले अल्ट्रा-फाइन नैनोफाइबर-आधारित मास्क के उपयोग को बढ़ावा देना है। इधर, आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमीत सिन्हा राय ने कहा कि नैनोफाइबर फेस मास्क के लिए चमत्कार कर सकते हैं। किसी अच्छे फेस मास्क के दो बुनियादी मानक हैं वायु कण और प्रदूषक रोकने की क्षमता और खुल कर सांस लेने की सुविधा। बाजार के मेल्ट-डाउन फैब्रिक की कीमत तो कम है पर इसमें खुल कर सांस नहीं आती है। हालांकि आम तौर पर उपलब्ध 3-प्लाई सर्जिकल मास्क में सांस लेना आसान है पर यह असरदार नहीं है। ऐसे में नैनोफाइबर वाले मास्क आपको खुल कर सांस लेने की सुविधा देने के साथ हवा में मौजूद छोटे कणों को रोकने में भी असरदार हैं। आशा है इस तकनीक से मास्क के औद्योगिक उत्पादन के लिए इच्छुक भागीदार आगे आएंगे। लैबरोटरी में निर्माण सामग्री की लागत लगभग 25 रुपए मास्क है। हालांकि, औद्योगिक उत्पादन में यह लागत लगभग आधी हो जाएगी। शोध विद्वान आशीष काकोरिया ने कहा कि ये अल्ट्राफाइन फाइबर हवा को कम से कम रोकते हैं। ऐसा एक विशेष परिघटना की वजह से मुमकिन होता है जिसे हम स्लिप फ्लो कहते हैं। इसलिए आप खुल कर सांस ले सकते हैं। इतना ही नहीं, इस तकनीक के उपयोग से बेकार प्लास्टिक बोतलों के कचरे का सदुपयोग हो जाएगा। नैनोफाइर वाले 3-प्लाई सेमी-रीयूजबल मास्क धुलने और बार-बार पहनने योग्य हैं। लैबरोटरी स्तर पर निर्माण सामग्री की लागत 12रुपए मास्क है। हिन्दुस्थान समाचार/मुरारी/सुनील-hindusthansamachar.in