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धमतरी:मवेशी धरपकड़ के नाम पर साल भर में हजारों रुपए खर्च , स्थिति जस की तस

Raftaar Desk - P2

शहर में नहीं दिख रहा असर ,लोग हो रहे परेशान धमतरी,8 फरवरी ( हि. स.)।नगर निगम द्वारा सालभर मवेशी धरपकड़ अभियान चलाए जाने के बाद भी शहर से गुजरे राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के साथ-साथ वार्डों की गलियों में मवेशियों का झुंड आसानी से देखा जा सकता है। इसके चलते प्रतिदिन लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। निगम अमला जब मवेशियों की धरपकड़ के लिए निकलता है तो लगभग सात से आठ का स्टाफ साथ होता है। एक वाहन पकड़ने का वाहन भी साथ होता है। यदि सभी खर्चों को जोड़ दिया जाए तो एक बार जब निगम का दल जब मवेशी धरपकड़ के लिए निकलता है तब लगभग तीन से चार हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। महीने में निगम टीम चार से पांच बार मवेशी धरपकड़ के लिए निकलती है। इस लिहाज से देखा जाए तो सालभर में निगम का धरपकड़ के नाम पर एक लाख रुपये से अधिक खर्च हो जाता है। इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। लोगों का कहना है कि निगम को मवेशी धरपकड़ अभियान को रोकना नहीं चाहिए, बल्कि लगातार अभियान चलाया जाना चाहिए। शासन की मंशानुरूप सड़क पर मवेशी नजर नहीं आने चाहिए, लेकिन शहर में इसके उलट नजारा है। सभी जगह आसानी से मुख्य मार्गों पर विचरण करते मवेशियों को देखा जा सकता है। सिहावा चौक, मकई चौक, रत्नाबांधा पुराना बस स्टैंड, अंबेडकर चौक, सोरिद पुल, काली मंदिर श्यामतराई कृषि उपज मंडी के पास मवेशियों का अस्थाई ठौर है। इनसे टकराने से शहर के अंदर कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। हाल के दौरान हुई कई सड़क दुर्घटना में प्रमुख कारण सड़क के बीच बैठे मवेशियों को माना गया। धरपकड़ अभियान के प्रभारी हेमंत नेताम ने बताया कि समय समय पर लगातार अभियान चलाया जाता है। 50 से अधिक मवेशी पकड़े भी गए हैं। शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से बेहतर बनाने के लिए सभी की सहभागिता आवश्यक है। बेसहारा मवेशियों की धरपकड़ लगातार की जाएगी। इससे वाहन दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी। आने वाले दिनों में फिर से अभियान चलाया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन-hindusthansamachar.in