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धमतरी : आंगनबाड़ी में चलाया जा रहा सजग अभियान, बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास

Raftaar Desk - P2

धमतरी, 10 मई ( हि. स.)। महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ समाज सेवी संस्था सेंटर फार लर्निंग रिसोर्सेस (सीएलआर) द्वारा यूनिसेफ़ के सहयोग से आंगनबाड़ी केंद्रों में सजग अभियान चलाए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के जरिए छोटे बच्चों के लालन-पालन से जुड़ी जरूरी बातों की जानकारी आडियो श्रंखला के रूप में पालकों तक पहुंच रही है, जिससे सजग आडियो की ये कड़ियां माता-पिता और अन्य परिजनों के लिए कोविड के बेचैन कर देने वाले हालात में खुद को संभालने, बच्चे के विकास में सहायक, घर का वातावरण बनाने और बच्चों में भावी जीवन को गढ़ने की क्षमता तैयार करने में मददगार साबित हुईं हैं। पिछले साल अप्रैल 2020 में छतीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कोरोना महामारी के स्थिति में बच्चों के विकास की प्रकिया निरंतर जारी रहे इस उद्देश से डिजिटल प्लेटफार्म द्वारा “सजग अभियान” प्रारंभ किया गया जिसको एक साल पूरा हो गया है। एक साल पूरा होने के बाद अभी सजग अभियान दूसरे साल में भी चलाने की योजना है। जिसके तहत आगे अभिभावक कैसे बच्चों के लिए छोटे छोटे खेल, ढेर सारी बातचीत और प्यार-दुलार का वातावरण बना सकते हैं इसके संबध में सजग संदेश भेजे जाएंगे। बच्चों के विकास में उनके जीवन के शुरुआती सात-आठ साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। पिछले साल 22 मार्च को देश भर में कोविड के चलते लाकडाउन की घोषणा कर दी गई। लाकडाउन के चलते आंगनबाड़ी और ऐसी सभी संस्थाएं बंद करनी पड़ीं जहां बच्चों को सीखने-जानने के अवसर मिलते थे। सीएलआर ने बच्चों के लालन पालन से जुड़ी जरूरी बातों पर आधारित छोटे-छोटे आडियो संदेश तैयार किए। जिन्हें लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं परिवारों तक पहुंचाती हैं और उन्हें जरूरी जानकारी उपलब्ध कराती हैं। हर 15 दिन में किसी एक जरूरी जानकारी पर आधारित लगभग पांच मिनट के संदेश सीएलआर द्वारा तैयार किया जाते हैं। ये संदेश डायरेक्ट्रेट महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सभी जिलों के कार्यक्रम अधिकारियों को व्हाट्सएप के जरिए भेजा जाता है। जिसे वो अपने सीडीपीओ को और फिर सभी सीडीपीओ अपने पर्यवेक्षिकाओं को भेजते हैं। पर्यवेक्षिकाएं संदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भेजती हैं। पोषण आहार वितरण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पालकों के घरों में जाकर इन संदेशों को उन्हें सुनाकर जरूरी बातें समझाती हैं। लाकडाउन के चलते बच्चों की जिंदगी में भी सब कुछ बदल चुका था ऐसे में उन्हें कैसे संभालें, साथ ही उनके जीवन की नीव को कैसे मजबूत करें इसकी जानकारी पालकों को मिली। यह संदेश महिला एवं बाल विकास विभाग के जिले के कार्यक्रम अधिकारियों से होते हुए पर्यवेक्षिकाओं से कार्यकर्ताओं तक पहुंचती है। इस तरह सभी स्तरों पर अमले के लोग एक दूसरे के अनुभव से सीख पाते हैं और कार्यकर्ता की समझ तैयार कर पाते हैं ताकि वो पालकों को बातें भली-भांति समझा सके। कार्यकर्ताएं पालकों से मिलकर उनकी अपनी बोली भाषा में संदेशों को समझाने बात-चीत करती हैं। हिन्दुस्थान समाचार / रोशन