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अपराध में प्रयुक्त हथियार की बरामदगी दोषसिद्धि के लिए जरूरी नहीं : सुप्रीम कोर्ट

Raftaar Desk - P2

नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक हत्या के आरोपी की दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए कहा कि किसी आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी जरूरी शर्त नहीं है। आरोपी के वकील ने तर्क दिया था कि बैलिस्टिक रिपोर्ट के अनुसार, मिली गोली बरामद बंदूक से मेल नहीं खाती है और इसलिए, कथित तौर पर बंदूक का उपयोग संदिग्ध है, इसलिए आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने सबसे अधिक देखा, यह कहा जा सकता है कि पुलिस द्वारा आरोपियों से बरामद उसी बंदूक का इस्तेमाल हत्या के लिए किया गया, यह साबित नहीं किया जा सकता, इसलिए, हत्या के लिए इस्तेमाल किए गए वास्तविक हथियार की बरामदगी को नजरअंदाज किया जा सकता है। शीर्ष अदालत का आदेश एक मामले में आया, जहां 28 जनवरी, 2006 को हुई एक घटना में भीष्मपाल सिंह की हत्या करने के आरोप में आरोपियों को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, राकेश ने एक देशी पिस्तौल का इस्तेमाल किया। यह भी आरोप लगाया गया कि सुरेश और अनीश ने सिंह पर अपने-अपने चाकुओं से हमला किया। निचली अदालत ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। उच्च न्यायालय ने उनकी अपील खारिज कर दी और उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में चश्मदीद गवाह विश्वसनीय और भरोसेमंद थे, और उन्होंने विशेष रूप से कहा कि राकेश ने बंदूक से गोली चलाई और मृतक को चोट लगी। बंदूक से हुए जख्म को चिकित्सकीय साक्ष्य और डॉ. संतोष कुमार के बयान से स्थापित और साबित किया गया है। चोट नंबर 1 बंदूक की गोली से है। इसलिए, विश्वसनीय नेत्र साक्ष्य को अस्वीकार करना संभव नहीं है। --आईएएनएस एसजीके