कोरोना वायरस के चलते चैत्र नवरात्र में मंदिरों में तालाबंदी, पसरा सन्नाटा - घरों में कलश स्थापित कर लोगों ने शुरू किया चंडी पाठ,कोरोना से बचाव की गुहार,घरों में देवी के पचरा और मंत्रों के साथ शंखध्वनि वाराणसी, 25 मार्च (हि.स.)। बासंतिक चैत्र नवरात्र के पहले दिन बुधवार को कोरोना वायरस के संक्रमण को देख देवी मंदिरों में तालाबंदी से परिसर में सन्नाटा पसरा रहा। अलईपुर स्थित शैलपुत्री के दरबार में आसपास के लोग पहुंचे भी तो बाहर से ही मत्था टेककर वापस लौट आये। उधर,मंदिर के गर्भगृह में मातारानी के विग्रह को पंचामृत से स्नान करने के बाद पुजारी ने विधिवत नये वस्त्र धारण कराने केे बाद श्रृंगार कर भोग लगाने के बाद महाआरती की। इसके बाद मंदिर का पट बंद कर दिया। इस दौरान वहां लोगों का प्रवेश वर्जित रहा। संक्रमण से बचाव के लिए जिले में लागू लॉकडाउन के बीच लोगों ने घरों में ही विधिवत पूजन अर्चन शुरू कर जगदम्बा से कोरोना वायरस को नष्ट करने की गुहार लगाई। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर लोगों ने अपने घरों में अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापित कर मां दुर्गा की आराधना शुरू की। चैत्र नवरात्र के पहले दिन गौरी पूजन में मुख निर्मालिका गौरी और अलईपुर स्थित शैलपुत्री के दर्शन पूजन के विधान में लोगों ने माता रानी के दोनों स्वरूपों का ध्यान कर आराधना की। घरों में देवी की स्तुति-वंदना पचरा की गूंज रही। धूप-अगरबत्ती और लोहबान के साथ हवन पूजन में सांकला पड़ने से घर और आंगन में इसका सुगन्ध देर तक बना रहा। इसके पहले लोगों ने भोर में उठकर घरों की साफ-सफाई धुलाई के बाद पाठ बैठाया। अभिजीत मुहुर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्थापित कलश के समक्ष आदि शक्ति के सामने दुर्गा सप्तसदी, दुर्गा चालीसा आरती का पाठ किया। आध्यात्मिक बनाता रहा। जिन घरों और मंदिरो में पूरे नवरात्र भर पाठ बैठाना था। वहां घट स्थापना अभिजीत मुहुर्त के बीच किया गया। महिलाओं और श्रद्धालुओं ने पूरे नौ दिन व्रत रखने का संकल्प लिया। पहले दिन व्रती लोगों ने पूरे आस्था विश्वास से व्रत का आगाज किया। वहीं पहला और आखिरी व्रत रखने वालों ने भी मां की कृपा पाने के लिए पूरे श्रद्धा के साथ व्रत रखा। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश-hindusthansamachar.in