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यार्न कीमतों में वृद्धि : तमिलनाडु की तिरुपुर इकाइयां 6 दिनों की हड़ताल करेंगी

Raftaar Desk - P2

चेन्नई, 3 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु के तिरुपुर में कपड़ा इकाइयां सूती धागे की कीमतों में बढ़ोतरी के विरोध में 16 से 21 मई तक बंद रहेंगी। केंद्र द्वारा कपास पर आयात शुल्क कम करने के बाद सूती धागे की कीमत में 40 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि हुई है। तिरुपुर गारमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को एक बयान में हड़ताल की घोषणा की। कपड़ा इकाइयां, ज्यादातर निर्यातक, चिंतित हैं कि सूती धागे की कीमतों में बढ़ोतरी से उनके कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा और इसलिए, वे छह दिवसीय विरोध प्रदर्शन करेंगे। तिरुपुर परिधान उद्योग का सालाना कारोबार लगभग 36,000 करोड़ रुपये है। तिरुपुर गारमेंट ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम.पी. मुथुरमन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि नवंबर 2021 में कपास मिलों ने यार्न की कीमत में 50 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि की, और यार्न को 350 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा गया। अब भारत सरकार द्वारा आयात शुल्क में कमी के बाद हम यार्न की कीमतों में गिरावट की उम्मीद कर रहे थे, इसके बजाय, मिलों ने इसे 40 रुपये प्रति किलो बढ़ा दिया है जिसके साथ हम जीवित नहीं रह सकते। हमारे पास विरोध के रूप में अपनी इकाइयों को बंद करने के अलावा कोई और चारा नहीं है। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (टीईए) के अध्यक्ष राजा षणमुगम ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि कीमत स्थिर होने तक सूती धागे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में व्यापारियों द्वारा कपास की जमाखोरी की संभावना है जिससे उत्पाद की कमी हो रही है। तमिलनाडु स्पिनिंग मिल्स एसोसिएशन (टीएनएसएमए) के विशेष सलाहकार, डॉ. के. वेंकटचलम ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उत्तर भारत में कपास व्यापारी उत्पाद की जमाखोरी कर रहे हैं और इसलिए मिलें कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब कपास के लिए आयात शुल्क घटाने की घोषणा की गई तो कपास कैंडी की कीमतों में तत्काल गिरावट आई, लेकिन अब कपास कैंडी की उपलब्धता कम होने से कीमत बढ़ गई है। --आईएएनएस एमएसबी/एसकेपी