जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा को फिर से बहाल करने पर सुनवाई के लिए सरकार ने नई तारीख मांगी है। इस मामले की सुनवाई अभी 5 अगस्त को होनी थी, लेकिन सॉलिसिटर जनरल और अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से इस तारीख पर सुनवाई नहीं करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि इस तारीख पर अधिकारी मौजूद नहीं होंगे जिसके चलते इसकी सुनवाई आगे होनी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘कश्मीर में 5 अगस्त का कुछ विशेष महत्व है इसलिए इस पर सुनवाई के लिए कोई नई तारीख दे दी जाए। 5 अगस्त को धारा 370 को हटाने की एनिवर्सरी है। इसलिए जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकारी इस दिन मौजूद नहीं होंगे।’ केंद्र ने इंटरनेट बहाली पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के बयान को वेरिफाई करने का समय दिया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं माना। सरकार को बैठकों की तारीख, बैठक की जानकारी और समिति द्वारा लिए गए निर्णय को ऑनलाइन प्रकाशित करना आवश्यक था, जैसा कि ऐसा इंटरनेट स्पीड को 2जी करते समय किया गया था। मामले में स्पेशल कमेटी की तथाकथित रिपोर्ट दाखिल करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल ने गिरीश चंद्र मुर्मू ने प्रदेश के कई मुद्दों पर आजतक से बात की थी। उपराज्यपाल ने हाई स्पीड इंटरनेट पर पाबंदी को लेकर भी अपने विचार साझा किए थे। उपराज्यपाल ने कहा था कि ऐसा कानून-व्यवस्था के चलते किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी समीक्षा की जा रही है। जहां-जहां जरूरत है, वहां हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा मुहैया कराई गई है। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने मुझे जम्मू कश्मीर में विकास की गति तेज करने और जमीनी स्तर पर लोगों को अधिकार दिलाने के लिए भेजा था। मैं अपना काम कर रहा हूं। उपराज्यपाल मुर्मू ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पहली बार ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी के चुनाव हुए। विकास कार्यों में जमीनी स्तर पर लोगों की भागीदारी बढ़ाई गई।-newsindialive.in