nand kishor, Feroze Gandhi
nand kishor, Feroze Gandhi Raftaar.in
लोकसभा चुनाव 2024

Political kissa: जब चंदा मांग उस पैसे से नामांकन किये थे नंद किशोर, फ़िरोज गांधी ने ठोकी थी विरोधी की पीठ

रायबरेली, (हि.स.)। चुनावी प्रचार का तामझाम और इसमें बढ़ रहे पैसे का प्रभाव इस क़दर है कि बिना धनबल के चुनाव लड़ने की कल्पना भी नहीं की जा सकती,लेकिन एक दौरे ऐसा भी था जब प्रमुख दलों के उम्मीदवार भी चंदा मांगकर नामांकन करते थे। हालांकि यह बातें अब केवल किस्से और कहानियां में रह गईं हैं, जो अब लोगों को याद भी नहीं होंगी।

1957 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में खास

रायबरेली का 1957 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण था। एक तो यहां से पंडित जवाहरलाल नेहरू के दामाद फ़िरोज गांधी कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़ रहे थे और पूरी कांग्रेस यहां सक्रिय थी। दूसरा फ़िरोज के ख़िलाफ़ डॉ रामनोहर लोहिया ने अपने सबसे विश्वस्त साथी नंदकिशोर नाई को सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार दिया था। नाई लोहिया के निजी सचिव थे। वह उन्नाव के बीघापुर में ओसिया गांव के निवासी थे। महत्वपूर्ण बात यह थी कि इस चुनाव में एक तरफ़ तो धनबल था, जबकि दूसरी ओर नामांकन के लिए भी पैसे नहीं थे। कहा जाता है कि डॉ लोहिया ने नंद किशोर को केवल तीन सौ रुपये दिए थे और कहा था बाकी का इंतजाम ख़ुद कर लेना।

कचहरी में मौजूद लोगों से मांगना शुरू कर दिया चंदा

विनोबा भावे के शिष्य रवींद्र सिंह चौहान कहते हैं कि जब नंद किशोर नामांकन के लिए अपने समर्थकों के साथ पहुंचे तो पहले उन्होंने वहां मौजूद कचहरी में मौजूद लोगों से चंदा मांगना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि बिना आप सभी के सहयोग के वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगें, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं है। चौहान बताते हैं कि देखते ही देखते लोगों ने उनका भरपूर सहयोग किया और कुछ देर में ही करीब 200 रुपये इकट्ठा हो गए। तब जाकर उन्होंने नामांकन किया।

नंद किशोर नाई की चर्चा सुनकर फ़िरोज गांधी ख़ुद आये उनके पास

विरोधी उम्मीदवार नंद किशोर नाई की यह चर्चा सुनकर फ़िरोज गांधी ख़ुद उनके पास आये और कहा कि 'नंद किशोर तुमने प्रचार में बाजी मार ली,चंदा मांगकर आपने जनता को संदेश दे दिया कि तुम ही उनके प्रतिनिधि होने लायक हो। 'रायबरेली लोकसभा सीट के इस बेहद महत्वपूर्ण चुनाव में फ़िरोज गांधी जीत गए,उन्हें 162,595 वोट मिले। हालांकि उन्हें नंद किशोर से कड़ी टक्कर मिली। नंद किशोर को 1,33,342 वोट मिले। यह अलग बात है कि आज नंद किशोर नाई को कोई नहीं जानता,लेकिन लोहिया के इस साथी ने यह जरूर साबित कर दिया कि जनता का सच्चा प्रतिनिधि कैसे होते हैं।

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