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लोकसभा चुनाव 2024

Lok Sabha Election: उप्र के वो चार मुकाबले जब थम गई उम्मीदवारों की सांसें, मामूली अंतर से मिली बड़ी जीत

लखनऊ, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के संसदीय इतिहास में दर्ज सांसें थामने वाले मुकाबलों में हार और जीत का फैसला महज कुछ वोटों के अंतर से हुआ है। सबसे करीबी मुकाबले को कांग्रेस ने महज 0.02 फीसदी के अंतर से जीता था। प्रदेश राजनीति के इतिहास में यह जीत अभी भी नजदीकी मुकाबले में दर्ज है और यह रिकॉर्ड सालों से कायम है। बात अगर प्रदेश में अब तक के उन चार सबसे खास मुकाबलों की जाए जो बहुत करीबी मानें जाते हैं।

उत्तर प्रदेश की मामूली अंतर वाली बड़ी जीत

देश में हुए 17 आम चुनावों में से 1962 से 2019 तक हुए 15 लोकसभा चुनाव आंकड़ों के आधार पर उत्तर प्रदेश की मामूली अंतर वाली बड़ी चार जीतों में से एक मुकाबले का नतीजा कांग्रेस, एक का बहुजन समाज पार्टी (बसपा), एक का जनता दल (जेडी) और एक का भारतीय जनता दल (भाजपा) के हिस्से आया है।

77 वोटों के अंतर से जीते रामायण राय

1980 के आम चुनाव में पूर्वांचल की अहम माने जाने वाली देवरिया संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रामायण राय अपने निकट प्रतिद्धंदी से मात्र 77 वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामायण राय को 110014 (32.83 फीसदी) वोट हासिल हुए थे। दूसरे नंबर पर रहे जनता पार्टी सेक्युलर के प्रत्याशी रामधारी शास्त्री को 109937 (32.81 फीसदी) वोट मिले थी। जीत हार का अंतर मात्र 77 वोट थे। तीसरे नंबर पर रहे थे जनता पार्टी प्रत्याशी उग्रसेन। उन्हें 24.27 फीसदी वोट हासिल हुए थे। रामायण राय की जीत 1980 में लोकसभा चुनाव में प्रदेश ही नहीं देश की सबसे छोटी जीत के तौर पर दर्ज है।

प्यारे लाल शंखवार 105 वोटों के अंतर से जीते

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश ही नहीं देश में सबसे छोटी जीत दर्ज की थी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी प्यारे लाल शंखवार ने। बसपा प्रत्याशी घाटमपुर (सुरक्षित) सीट से मात्र 105 वोटों के मामूली अंतर से संसद की चौखट लांघने में कामयाब हुए। इस चुनाव में प्यारे लाल को 156582 (28.06 फीसदी) वोट हासिल किए। दूसरे स्थान पर रही समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी अरुण कुमार कोरी। कोरी को 156477 (28.04 फीसदी) वोट प्राप्त हुए। जीत हार का अंतर मात्र 105 वोट का रहा। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी कमला रानी 155987 (27.95 फीसदी) वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही।

156 वोट ज्यादा पाकर जीत गए राम अवध

1991 के आम चुनाव में जनता दल (जेडी) के प्रत्याशी राम अवध ने अकबरपुर (सुरक्षित) सीट से जीत हासिल की। राम अवध को 133060 (27.04 फीसदी) वोट हासिल हुए। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के बेचन राम। भाजपा के खाते में 132904 (27.01 फीसदी) वोट आए। इस चुनाव में जनता दल प्रत्याशी ने मात्र 156 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में बसपा तीसरे और जनता पार्टी चौथे स्थान पर रहे थे। साल 1991 में लोकसभा चुनाव में यह देश की सबसे छोटी जीत थी।

बीपी सरोज ने 181 वोटों के अंतर से जीता मुकाबला

वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में सबसे छोटी जीत दर्ज की थी भाजपा के बीपी सरोज ने। वह मछलीशहर से मात्र 181 वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। पूर्वांचल की इस अहम सीट सीट पर अंतिम समय तक मुकाबला रोचक बना रहा। हालत यह रही कि हर राउंड के बाद उलटफेर होता रहा। भाजपा प्रत्याशी बीपी सरोज को इस चुनाव में जहां 4,88,397 (47.17 फीसदी) वोट मिले वहीं बसपा के त्रिभुवन राम 4,88,216 (47.15) वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। बीपी सरोज ने यह चुनाव मात्र 181 वोटों से जीता था।

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