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Chunavi Kissa: जब प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी की जनसभा में फटे बम, फिर भी नहीं रुकी हुंकार रैली

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। 2013 में जब भाजपा ने प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगाई थी उस वक्त पटना के गांधी मैदान में कुछ हुआ जिसने पूरे देश के होश उड़ा दिए। पटना में उस दिन लगातार बम धमाके हुए। इन आतंकियों का प्लान नरेंद्र मोदी को मारना था। उस समय मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और गांधी मैदान में रैली को संबोधित कर रहे थे।

पटना के गांधी मैदान की है घटना

7 अक्टबूर 2013 का वो दिन जब नरेंद्र मोदी पटना के गांधी मैदान में मंच पर भाषण दे रहे थे। लेकिन तभी अचानक पीछे से काफी धुआं उठता हुआ दिखाई दिया। पहले तो ऐसा लगा मानो पटाखे फूंटने की आवाज़ हो लेकिन वो था कुछ और ही। मंच पर खड़े नेताओं ने लोगों को काबू करने के लिए बोल दिया कि खुशी में लोग पटाखे फोड़ रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं था। ये पटाखे नहीं बम की आवाज़ थी, पटना में उस दिन लगातार बम फट रहे थे। दरअसल, गांधी मैदान इतना बड़ा है कि पीछे क्या होता है उससे आगे वाले लोगों को पता ही नहीं चलता। नरेंद्र मोदी को पता था कि उनकी जान खतरे में है फिर भी उन्होंने हुंकार रैली को संबोधित करने से खुद को नहीं रोका। जनता भी उनके भाषण को सुनना चाहती थी। सुबह 10 बजे से ही सैकड़ों की संख्या में लोगों का आना शुरु हो गया था।

पटना रेलवे स्टेशन पर भी बम फटा

पटना में उस दिन न केवल गांधी मैदान में बम फटा इसके अलावा पटना रेलवे स्टेशन पर भी एक धमाका हुआ था। जो कि गलती से फट गया था। उस वक्त बिहार के डीजीपी रहे अभयानंद ने एक इंटरव्यू में बताया कि पटना रेलवे स्टेशन के दो बाथरूम में आतंकी बम लगा रहे थे तभी बम की टाइमिंग को सेट करते वक्त बम फट गया इस हादसे में एक आतंकी घायल हो गया और 1 आतंकी पकड़ा गया। आतंकियों के प्लान पर पानी फिर गया। लेकिन यह उस दिन के बम धमाकों की शुरुआत थी। उसके बाद जब गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी मंच पर भाषण देने आए। तब आतंकियों ने अपना असली खेल शुरु किया।

सभी आतंकियों को मिली सज़ा

उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और राज्य में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे, नीतीश तब बीजेपी का साथ छोड़ चुके थे। इस ब्लास्ट की पूरी ज़िम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली थी। कई आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। NIA की कोर्ट ने इस मामले में साल 2021 में फैसला सुनाया था, तब कुल 9 आतंकियों को सज़ा हुई थी जिसमें से 4 को फांसी, 2 को उम्रकैद और बाकियों को भी सज़ा सुनाई गई थी। 2013 की उस हुंकार रैली को बीजेपी की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक रैलियों में से एक माना जाता है।

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