दमा या अस्थमा (Asthma) एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है।श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती है। दमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन होता है। यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी बेचैन करने वाली चीज़ के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है।
दमा के प्राकृतिक उपचार में निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
ताजा फलों का रस : अपने शरीर की प्रणाली को पोषक तत्त्व प्रदान करने के लिए और हानिकारक तत्त्व बाहर निकालने के लिए रोगी को कुछ दिन तक ताज़े फलों का रस ही लेना चाहिए और कुछ नहीं। इस उपचार के दौरान उसे ताज़ा फलों के एक गिलास रस में उतना ही पानी मिलाकर दो-दो घंटे के बाद सुबह आठ बजे से शाम आठ बजे तक लेना चाहिए।तेज़ाब बनाने वाले पदार्थ सीमित मात्रा मेंरोगी के आहार में कार्बोहाइड्रेट चिकनाई एवं प्रोटीन जैसे तेज़ाब बनाने वाले पदार्थ सीमित मात्रा में रहें और ताजे फल, हरी सब्जियाँ तथा अंकुरित चने जैसे क्षारीय खाद्य पदार्थ भरपूर मात्रा में रहें तो सबसे अच्छा रहता है।
कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ से बचें : चावल, शक्कर, तिल और दही जैसे कफ या बलगम बनाने वाले पदार्थ तथा तले हुए एवं गरिष्ठ खाद्य पदार्थ न ही खाएं।
कम और चबा-चबा कर खाना खाएं : अल्पाहार दमा के रोगियों को अपनी क्षमता से कम ही खाना चाहिए। उन्हें धीरे-धीरे और अपने भोजन को चबा-चबाकर खाना चाहिए। दमा, विशेषकर तेज़ दमे का दौरा, हाजमें को खराब करता है। ऐसे मामलों में रोगी पर खाने के लिए जोर मत दीजिए, ऐसे मामलों में जब तक दमे का दौरा दूर न हो जाए तब तक रोगी को लगभग उपवास करने दीजिए।
अत्यधिक पानी पीना चाहिए : दमा के रोगियों को प्रतिदिन कम से कम आठ से दस गिलास पानी पीना चाहिए। भोजन के साथ पानी या किसी तरह का तरल पदार्थ लेने से परहेज करना चाहिए। रोगी हर दो घंटे के बाद एक प्याला गरम पानी पी सकता है। ऐसे मामले में यदि रोगी एनीमा लेता है तो उसे बहुत फायदा होता है।
मौसम से सावधान रहना चाहिए : बारिश के बाद सितंबर में धूल उड़ती है और बारिश के कीटाणुओं को फैलने पनपने का मौका मिल जाता है। वैसे भी वातावरणीय कारकों से फैल रही एलर्जी के कारण अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ बदलती जीवनशैली और प्रदूषण के कारण भी अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं। कुछ आयुर्वेदिक औषधियां और घरेलू नुस्खे इसमें काफी राहत देते हैं।