केवल 20 मिनट मेडिटेशन और जिंदगी भर स्वस्थ
आज क इस तनाव भरे वातावरण में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो इस से ग्रसित न हो। तनाव किसी भी चीज का हो सकता है, दफ्तर, घर, पढ़ाई, खेल में बहतर करने या कोई अन्य। ऐसे में मेडिटेशन एक ऐसी क्रिया है जो न केवल आपके तन बल्कि मन और मस्तिष्क को भी राहत देती है। मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आत्मिक शांति पाने के लिए ध्यान लगाया जाता है। इसका नियमित अभ्यास करने के कई फायदे मिलते हैं। एलर्जी, अस्थमा, कैंसर, थकान, रक्तचाप, डायबिटीज (Diabetes), हायपरटेंशन आदि के साथ ही मनोवैज्ञानिक(Physiological) फायदे भी शामिल हैं। केवल 20 मिनट का मेडिटेशन आपको स्वस्थ रखने का सबसे बेहतर उपाय है। आइए जानते हैं मेडिटेशन के अन्य फायदों के बारे में।
1. रक्तचाप को संतुलित करता है - Control blood Pressure
तनाव बढ़ने से शरीर का रक्त चाप बढ़ने लगता है जिससे दिल की बीमारी का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। ऐसे समय के लिये विशेषकर उच्च रक्तचाप की समस्या के लोगों के लिए ध्यान एक तैयार टॉनिक है। जिसे नजरंदाज करना सबसे बड़ी भूल हो सकती है। ध्यान करने के लिये आप 15-20 मिनट तक अपनी दोनो आँखें बंद करें और ध्यान की मुद्रा में बैठ जाएं। यही आपके स्वास्थ के लिये सबसे बड़ा टॉनिक बन सकती है।
2. इम्यूनिटी बढ़ाए - Increase immunity
मेडिटेशन से हमारे शरीर में नई शक्ति का संचार होता है। स्वस्थ वायु शरीर के भीतर जाती है, जिससे व्यक्ति अधिक स्वस्थ महसूस करता है। ऐसा रोज करने से व्यक्ति की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और व्यक्ति पहले से कम बीमार पड़ता है।
3. एकाग्रता में वृद्धि - Increase concentration
मेडिटेशन का अर्थ ही है ध्यान लगाना (Dhyaan Lagana) , ऐसे में रोज इस प्रक्रिया को करने से व्यक्ति बेहतर तरीके ध्यान लगाना सीख जाता है, जिससे किसी भी काम को करने में एकाग्रता बढ़ती है। चाहें पढ़ाई हो या दफ्तर का काम, व्यक्ति पहले से अधिक ध्यान और एकाग्रचित होकर काम कर पाता है।
4. वजन घटाए - Weight Loss
वजन कम करने के लिए मेडिटेशन बेहद सरात्मक लाभ देता है। यदि आप भी मोटापे से मुक्ति चाहते हैं तो मेडिटेशन को अपनाएं। मेडिटेशन में बहुत सी ऐसी क्रियाएं होती हैं, जिन्हें करने से वजन कम होता है।
5. तनाव कम करे - Relief from Tension
रोजाना केवल 20 मिनट का मेडिटेशन आपको तनाव से मुक्ति देने में सक्षम है। मेडिटेशन करने से मस्तिष्क के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले हिस्से में सकारात्मक बदलाव होते हैं। ऐसा करने से सिर का दर्द, मन की बैचेनी, घबराहट यहां तक कि शिजोफ्रेनिया के मरीजों को भी लाभी होते देखा गया है।