बवासीर क्या है
बवासीर को अंग्रेजी में पाइल्स या हेमोरोइड्स कहा जाता है। यह एक शारीरिक बीमारी है जिसकी स्थिति में मरीज को बैठने में बहुत परेशानी होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सबसे ज्यादा परेशानी और दर्द शौच करते समय होती है। कई बार दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है की मरीज के लिए सहन करना मुश्किल हो जाता है। एनस के अंदर या बाहरी हिस्से और रेक्टम के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन होने की वजह से एनस के अंदर और बाहर के क्षेत्र में मस्से बन जाते हैं। इन्ही मस्सों को मेडिकल की भाषा में बवासीर कहा जाता है।
बवासीर को लंबे समय तक अनदेखा करने और इसका समय पर सही इलाज नहीं कराने की वजह से यह एक गंभीर रूप ले लेता है जिसे हम भगंदर के नाम जानते हैं। भगंदर को अंग्रेजी में फिस्टुला कहते हैं। फिस्टुला की स्थिति में एनस के बगल में एक छोटा सा छेद हो जाता है जो मल की नली में जाकर मिल जाता है। नली में जाने के बाद यह फोड़े की शक्ल में फटता है। फटने के कारण इसमें से पस और खून निकलते हैं और फिर यह सूखता भी रहता है। कुछ समय के बाद इसी रास्ते से मल भी बाहर आने लगता है। बवासीर का आखरी स्टेज फिस्टुला होता है। फिस्टुला के बाद यह कैंसर का रूप ले लेता है जिसे रेक्टम कैंसर भी कहा जाता है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर एक गंभीर बीमारी है जिसकी स्थति में मरीज को उठने और बैठने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। शौच करते समय मरीज को असहनीय दर्द होना, मल के साथ खून आना आदि इसमें शामिल हैं। बवासीर को दो भागों में बांटा गया है जिसे हम खूनी और बादी बवासीर के नाम से जानते हैं।
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर से पीड़ित मरीज को दर्द नहीं होता है लेकिन मल त्याग करते समय खून आता है। इस बीमरी से पीड़ित मरीज को शुरुआत में केवल शौच करते समय खून आता है। लेकिन एक समय के बाद धीरे धीरे खून टपकना भी शुरू हो जाता है। जैसे जैसे यह बीमारी खराब होती है वैसे वैसे खून बहना भी बढ़ जाता है। एक समय के बाद खून पिचकारी की शक्ल में बाहर आना शुरू हो जाता है।
खूनी बवासीर की स्थिति में मस्सा एनस के अंदर होता है। मरीज मल त्याग करता है तो मस्सा अंदर बाहर आता जाता रहता है। शौच करते समय यह बाहर आ जाता है और फिर अपने आप ही अंदर चला जाता है। जैसे जैसे यह बीमारी पुरानी होती है मस्से की हालत भी बिगड़ती जाती है। एक समय के बाद सौच करते समय मस्सा बाहर आने के बाद अंदर नहीं जा पता है। ऐसी स्थिति में उसे हाथ से दबाकर अंदर किया जाता है। लेकिन आखिरी स्टेज में यह हाथ से दबाने के बाद भी अंदर नहीं जाता है।
बादी बवासीर क्या है
बादी बवासीर से पीड़ित मरीज को हमेशा कब्ज और गैस की शिकायत रहती है। साथ ही उनका पेट भी अक्सर खराब ही रहता है। बादी बवासीर की स्थिति में बवासीर का मस्सा एनस के अंदर बनता है। मस्सा अंदर बनने की वजह से मल का रास्ता छोटा हो जाता है। मल का रास्ता छोटा होने की वजह से मल के दौरान मस्सों पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से वे फट जाते हैं जिसकी वजह से मल त्याग करते समय उसके साथ साथ खूंन भी बाहर आने लगता है और एनस के अंदर जख्म बनने का खतरा बढ़ जाता है। मरीज का किसी भी काम में मन नहीं लगता है साथ ही शरीर में खुजली और बेचैनी भी होती है।
एक दिन में बवासीर का इलाज
बवासीर के इलाज के लिए कई तरह की दवाएं, ऑपरेशन और दूसरे माध्यम उपलब्ध हैं। लेकिन लेजर सर्जरी को इसके इलाज का सबसे बेहतर माध्यम माना जाता है। आमतौर पर ऐसा देखा गया है की बवासीर का इलाज होमयोपैथिक दवाओं, एलोपैथिक दवाओं, आयुर्वेदिक दवाओं, घरेलू नुस्खों, पारंपरिक ऑपरेशन आदि से करने के बाद भी यह फिर से दोबारा हो जाता है। ऐसी स्थिति में लेजर सर्जरी ही सबसे बेस्ट इलाज बनकर मरीजों के सामने आता है। इलाज का यह माध्यम सबसे आधुनिक और सुरक्षित माना जाता है और यही कारण है लोग अपने इलाज के लिए इस सर्जरी को प्राथमिकता दे रहे हैं।
पारंपरिक ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में बड़ा सा चीरा लगता है जिसकी वजह से तेज दर्द और ब्लीडिंग होती है। साथ ही टांके भी लगते हैं और ऑपरेशन के बाद मरीज को ठीक होने में महीनों का समय लग जाता है। इसके अलावा पारंपरिक ऑपरेशन के दौरान या बाद में मरीज को इंफेक्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है। जबकि लेजर सर्जरी में इनमें से कोई भी बात नहीं होती है। इस सर्जरी में मरीज को जरा भी दर्द नहीं होता है, टांके और जख्म भी नहीं बनते हैं। लेजर सर्जरी बवासीर की समस्या को हमेशा के खत्म कर देता है।
बवासीर की लेजर सर्जरी के बाद मरीज बहुत कम समय में पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अगर बवासीर अपने शुरूआती स्टेज में है तो इसकी लेजर सर्जरी मात्र 20-30 मिनट में पूरी हो जाती है। सर्जरी के बाद मरीज को हॉस्पिटल में रुकने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। सर्जरी के दौरान या उसके बाद मरीज को किसी भी तरह के दर्द और परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। सर्जरी के एक दिन के बाद मरीज अपनी रूटीन लाइफ को फिर से शुरू कर सकता है।
लेजर सर्जरी के फायदे
● यह पूरी तरह से सुरक्षित इलाज है।
● 30 मिनट सर्जिकल प्रक्रिया है।
● फिर से बीमारी होने का कोई खतरा नहीं।
● चीरा, दर्द, टांके और दाग नहीं होते हैं।
● उसी दिन मरीज डिस्चार्ज हो जाता है।
● 48 घंटे के अंदर मरीज अपनी रूटीन लाइफ शुरू कर सकता है।
● इंफेक्शन होने का खतरा लगभग ना के बराबर होता है।
● सर्जरी के बाद रिकवरी बहुत जल्दी होती है।
● बहुत ही प्रभावशाली इलाज है।
बवासीर का इलाज लेजर सर्जरी के जरिए कराना चाहते हैं तो आप अपने शहर में प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care) से संपर्क कर सकते हैं। यहां बेहतरीन लेजर सर्जरी के साथ साथ दूसरी भी कई सुविधाएं मरीज को फ्री में दी जाती है जिसमें सभी डायगनोस्टिक जाँच पर 30% की छूट, मरीज के रहने के लिए एक डीलक्स रूम, खान पान का अच्छा इंतेजान, 100% इंश्योरेंस क्लेम और कैब फैसिलिटी जो सर्जरी के दिन मरीज को उनके घर से हॉस्पिटल और सर्जरी के बाद हॉस्पिटल से घर ले जाती है आदि शामिल हैं। आप प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर अपने बवासीर की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।