व्रत विधि

स्कन्द व्रत विधि - Skand Vrat Vidhi

स्कन्द व्रत आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की स्कन्द रूप में पूजा करने का विशेष विधान है। यह व्रत पुत्र- पौत्र प्राप्ति के लिए अति फलदायी माना जाता है।

स्कन्द व्रत विधि (Skandh Vrat Vidhi in Hindi)

नारद पुराण के अनुसार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन व्रती को प्रातः उठकर संभव हो तो नदी में स्नान करना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थान पर भगवान कार्तिकेय की स्कन्द रूपी प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए।

मन में पुत्र प्राप्ति की कामना करते हुए विभिन्न प्रकार से पूरे श्रद्धाभाव के साथ भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। पूजा सम्पूर्ण होने के बाद ब्राह्मण को भोजन करवा कर उन्हें यथा शक्ति धन, अन्न, वस्त्र आदि वस्तुएं दान करना चाहिए।

स्कन्द व्रत फल (Benefits of Skand Vrat in Hindi)

मान्यता के अनुसार स्कन्द व्रत के पुण्य से व्रती को सुंदर और गुणवान पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके अलावा स्कन्द जी की पूजा से व्यक्ति को सुख- शांति के और मनोवांछित फलों की पूर्ति होती है।