व्रत विधि

सत्यनारायण व्रत विधि- Satya Narayan Vrat Vidhi in Hindi

सत्यनारायण व्रत हिन्दू धर्म से सबसे श्रेष्ठ फलदायी व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति को सभी अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की नारायण रूप में आराधना की जाती है। इस व्रत की महिमा से नरक की पीड़ा से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है।  

सत्यनारायण व्रत कब करें (When to do Satyanarayan Vrat)

मान्यतानुसार हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण जी की पूजा करने का विधान है।

सत्यनारायण व्रत विधि (Satyanarayan Vrat Vidhi)

भविष्यपुराण के अनुसार सत्यनारायण व्रत रखने वाले व्यक्ति को सबसे पहले प्रातः दातौन करने के बाद स्नान कर पवित्र हो जाना चाहिए। हाथ में पुष्प और तुलसी लेकर इस मंत्र द्वारा संकल्प लेना चाहिए।

नारायणं सान्द्रघनावदांत
चतुर्भुजं पीतमहार्हवाससम्।
प्रसन्नवक्त्रं नवकञज्लोचनं
सनन्दनाघैरुपसेवितं भजे।।
करोमि ते व्रतं देव सायंकाले त्वदर्चनम्।
श्रृत्वा गाथांत्वदीयां हि प्रसादं ते भजाम्यहम्।।

इसके बाद शाम के समय पूरे विधि-विधान से भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय पूजा स्थल पर पांच कलशों को स्थापित करना चाहिए। नारायण प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवा कर चंदन, फूल, गंध, दीप, धूप आदि से उनकी पूजा करनी चाहिए। अंत में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनकर हवन कर सब लोगों में प्रसाद बांटना चाहिए।

सत्यनारायण व्रत फल (Benefits of Satyanarayan Vrat)

भविष्यपुराण के अनुसार सत्यनारायण व्रत करने वाले व्रती के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं तथा इस जन्म के पुण्य को वह अगले जन्म के शुरू में ही प्राप्त कर लेता है। यह व्रत व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है तथा व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।