व्रत विधि

एकादशी व्रत विधि- Ekadashi Vrat Vidhi

हिन्दू धर्मानुसार प्रत्येक महीने की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन एकादशी व्रत किया जाता है। वैष्णव समाज और हिन्दू धर्म के लिए एकादशी व्रत महत्वपूर्ण और पुण्यकारी माना जाता है।

एकादशी व्रत विधि (Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi)

नारदपुराण के अनुसार एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है। जिस तरह चतुर्थी को गणेश जी, त्रयोदशी को शिवजी, पंचमी को लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है उसी प्रकार एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा की जाती है।

एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए तथा रात को पूजा स्थल के समीप सोना चाहिए। अगले दिन उठाकर (एकादशी) प्रात: स्नान के बाद व्यक्ति को पुष्प, धूप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:

एकादशी निराहारः स्थित्वाद्यधाहं परेङहन।

भोक्ष्यामि पुण्डरीकाक्ष शरणं में भवाच्युत।।

पूरे दिन व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की श्रद्धाभाव से आराधना करनी चाहिए। इसके बाद द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर भगवान विष्णु को भोग लगाकर पंडित को भोजन करने को बाद स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिए। साल में आने वाली कुछ विशेष एकादशी निम्न हैं:

वर्ष की महत्वपूर्ण एकादशी (Important Ekadashi of the Year In Hindi)

एकादशी का नाम

मास

पक्ष

कामदा एकादशी

चैत्र

शुक्ल

वरूथिनी एकादशी

वैशाख

कृष्ण

मोहिनी एकादशी

वैशाख

शुक्ल

अपरा एकादशी

ज्येष्ठ

कृष्ण

निर्जला एकादशी

ज्येष्ठ

शुक्ल

योगिनी एकादशी

आषाढ़

कृष्ण

देवशयनी एकादशी

आषाढ़

शुक्ल

कामिका एकादशी

श्रावण

कृष्ण

पुत्रदा एकादशी

श्रावण

शुक्ल

अजा एकादशी

भाद्रपद

कृष्ण

परिवर्तिनी एकादशी

भाद्रपद

शुक्ल

इंदिरा एकादशी

आश्विन

कृष्ण

पापांकुशा एकादशी

आश्विन

शुक्ल

रमा एकादशी

कार्तिक

कृष्ण

देव प्रबोधिनी एकादशी

कार्तिक

शुक्ल

उत्पन्ना एकादशी

मार्गशीर्ष

कृष्ण

मोक्षदा एकादशी

मार्गशीर्ष

शुक्ल

सफला एकादशी

पौष

कृष्ण

पुत्रदा एकादशी

पौष

शुक्ल

षटतिला एकादशी

माघ

कृष्ण

जया एकादशी

माघ

शुक्ल

विजया एकादशी

फाल्गुन

कृष्ण

आमलकी एकादशी

फाल्गुन

शुक्ल

पापमोचिनी एकादशी

चैत्र

कृष्ण